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Mokshada Ekadashi 2023: इस समय किया जाएगा मोक्षदा एकादशी का पारण, जानें पारण का सही नियम

Mokshada Ekadashi 2023 मोक्षदा एकादशी का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जाता है जो जातक भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें उनकी इस दिन जरूर पूजा करनी चाहिए। इसके प्रभाव से सभी सांसारिक सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। तो आइए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Thu, 21 Dec 2023 12:21 PM (IST)
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Mokshada Ekadashi 2023: पारण का सही नियम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन लोग श्री हरि विष्णु के लिए उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस साल यह 22 दिसंबर 2023 को मनाया जाएगा।

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मोक्षदा एकादशी तिथि और समय

एकादशी तिथि आरंभ - 22 दिसंबर 2023 - 08:16

एकादशी तिथि समापन - 23 दिसंबर 2023 - 07:11

पारण का समय - 24 दिसंबर 2023 - सुबह 06:18 बजे से प्रातः 06:24 बजे तक

मोक्षदा एकादशी पारण नियम

  • व्रत के अगले दिन सुबह उठें।
  • व्रती पवित्र स्नान करें।
  • मंदिर का साफ-सुथरा करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करें।
  • प्रभु को प्रसाद चढ़ाएं।
  • भगवान की आरती करें।
  • अंत में प्रसाद से अपने व्रत का पारण करें।
  • ध्यान रहे तामसिक भोजन से व्रत भूलकर भी न खोलें, वरना व्रत का पुण्य समाप्त हो जाएगा।
  • गरीबों को भोजन कराएं।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जाता है, जो जातक भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें उनकी इस दिन जरूर पूजा करनी चाहिए। इसके प्रभाव से सभी सांसारिक सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

इसके अलावा जो साधक मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु उन्हें वैकुंठ धाम में स्थान देते हैं।

भगवान विष्णु पूजन मंत्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।