Motivational Story: गुरु ने शिष्य को बताया सफलता के सही मायने क्या है
Prerak Kahani कभी-कभी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद व्यक्ति को लगता है कि हमारे आस-पास के लोग हमें और ऊपर जाने से रोक रहे हैं। इसमें घर परिवार अनुशासन माता-पिता गुरु और समाज शामिल हैं। परंतु इसके विपरीत ये सब हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
By Ritesh SirajEdited By: Updated: Wed, 14 Jul 2021 09:30 AM (IST)
Motivational Story: जिंदगी में व्यक्ति सफल होने के लिए बहुत परिश्रम करता है। सफलता के साथ व्यक्तित्व में बदलाव आता है। कभी-कभी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद व्यक्ति को लगता है कि हमारे आस-पास के लोग हमें और ऊपर जाने से रोक रहे हैं। इसमें घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता, गुरु और समाज शामिल हैं। लेकिन हमें बस ऐसा लगता है। घर, परिवार और गुरु आदि हमारे आगे बढ़ने की ताकत हैं। आज हम आपके सामने गुरु और शिष्य की एक कहानी का वर्णन करेंगे।
गुरुकुल में एक गुरु अपने शिष्यों के जीवन को निखारने का काम करते थे। एक दिन एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा कि गुरुदेव ये सफल जीवन क्या होता है? शिष्य की बात सुनकर गुरुदेव उसे पतंग उड़ाने के लिए अपने साथ लेकर गए। शिष्य शानदार तरीके से पतंग उड़ा रहा था। गुरु अपने शिष्य को पतंग उड़ाते हुए देख रहे थे। पतंग उड़ाते-उड़ाते शिष्य को लगा कि धागा कम पड़ रहा है। उसने गुरु जी से कहा कि धागे की कमी के कारण यह ज्यादा ऊपर नहीं जा पा रही है।
गुरुदेव ने कहा कि अब क्या करें? शिष्य ने तपाक से जवाब दिया कि पतंग के इस धागे को काट देते हैं। इससे पतंग पूरे आजादी से ऊपर उड़ सकेगा। शिष्य ने गुरु से पूछा कि क्या हम इसे तोड़ दें? गुरु ने जवाब दिया तुम्हें लगता है तो धागे को तोड़ दो। शिष्य ने धागे को तोड़ दिया।
धागा टूटने के बाद पतंग थोड़ा सा ऊपर गया। परंतु कुछ समय के बाद पतंग हवा में असंतुलित होकर लहराने लगा। देखते ही देखते वह एक अनजान जगह पर गिर गया। इस घटना के बाद के बाद शिष्य निराश होकर गुरुदेव की तरफ देखने लगा। तब गुरु ने अपने शिष्य को जीवन का दर्शन समझाया।
कहानी की शिक्षा
गुरु ने शिष्य से कहा कि ऊंचाई पर पहुंचने पर अपने आस-पास के लोगों से रिश्ता नहीं तोड़ना चाहिए। यही सब हमें अपने जड़ों से बांधकर रखते हैं।डिसक्लेमर'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'