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Nag Panchami 2024: नाग पंचमी की पूजा के दौरान करें इस स्तोत्र का पाठ, काल सर्प दोष होगा दूर

पंचांग के अनुसार देशभर में 09 अगस्त (Nag Panchami 2024) को नाग पंचमी पर्व मनाया जाएगा। नाग पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और नाग देवता की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और काल सर्प दोष से छुटकारा मिलता है। आइए हम आपको इस लेख में बताएंगे कि किस तरह से जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 07 Aug 2024 06:08 PM (IST)
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Nag Panchami 2024: इस तरह करें नाग देवता को प्रसन्न
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Nag Panchami 2024: हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नाग देवता को समर्पित है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद विधिपूर्वक नाग देवता की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के जीवन में आ रही समस्या दूर हो जाती है और नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप नाग देवता को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान नाग स्तोत्र का पाठ करें। इससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए पढ़ते हैं नाग स्तोत्र।

कब है नाग पंचमी? (Nag Panchami 2024 Date)

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 09 अगस्त को मध्य रात्रि 12 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 10 अगस्त को देर रात्रि 03 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त को मनाया जाएगा।

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॥ नाग स्तोत्र ॥

ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

विष्णु लोके च ये सर्पाःवासुकि प्रमुखाश्चये।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

रुद्र लोके च ये सर्पाःतक्षकः प्रमुखास्तथा

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

खाण्डवस्य तथा दाहेस्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

सर्प सत्रे च ये सर्पाःअस्थिकेनाभि रक्षिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

प्रलये चैव ये सर्पाःकार्कोट प्रमुखाश्चये।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

धर्म लोके च ये सर्पाःवैतरण्यां समाश्रिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

ये सर्पाः पर्वत येषुधारि सन्धिषु संस्थिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

ग्रामे वा यदि वारण्येये सर्पाः प्रचरन्ति च।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

पृथिव्याम् चैव ये सर्पाःये सर्पाः बिल संस्थिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

रसातले च ये सर्पाःअनन्तादि महाबलाः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।