Nag Panchami 2024: नागपंचमी पर क्यों पीटी जाती है गुड़िया? बेहद चौंकाने वाली है कहानी
हिंदू धर्म में सावन माह का बहुत महत्व है इस दौरान लोग भगवान शंकर की पूजा करते हैं। वहीं इस दौरान नाग पंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है जिसमें नाग देवताओं की पूजा का विधान है। इस साल यह पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर नाग देवता की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में श्रावण मास का बहुत धार्मिक महत्व है, इस दौरान भगवान शिव की पूजा होती है। वहीं, इस माह कई ऐसे त्योहार आते हैं, जिनमें से एक नाग पंचमी भी है। इस साल यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर नाग देवता की पूजा होती है। साथ ही कई लोग नाग पंचमी का व्रत भी रखते हैं। इस कठिन उपवास का पालन करने से और व्रत कथा सुनने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही कुछ क्षेत्र में इस दिन गुड़िया पीटने का भी विधान है, जिसका पालन काफी लंबे समय से होता चला आ रहा है, तो आइए इस परंपरा से जुड़ी एक कथा को जानते हैं -
कब और कैसे शुरू हुई गुड़िया पीटने की परंपरा?
गुड़िया पीटने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक का जिक्र हम करेंगे। यह कहानी भाई-बहन से जुड़ी हुई है। भाई भगवान शंकर का परम भक्त था और वह उनका दर्शन करने रोजाना मंदिर जाता था, जहां पर उसे एक नागदेवता के दर्शन भी होते थे। वह बालक उन्हें रोज दूध पिलाता, जिससे दोनों को एक दूसरे से बहुत लगाव हो गया। इनका प्यार इतना गहरा हो गया है कि जब वह लड़का मंदिर आता तो सांप अपनी मणि छोड़कर उसके पैरों से लिपट जाता।
वहीं, जब वह सावन माह के दौरान अपनी बहन के साथ मंदिर पहुंचा, तो नाग फिर से अपने प्यार को प्रकट करने के लिए उस लड़के के पैरों से लिपट गया। इस दृश्य को देखकर उसकी बहन डर गई कि वह सांप उसकी भाई को काट रहा है, क्योंकि उसे इसके पीछे की असली वजह नहीं पता थी।
अपने भाई की जान बचाने के लिए लड़की ने नाग को पीट-पीट कर मार डाला। इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी सुनाई तो लड़की परेशान होकर रोने लगी, जब इस घटना की जानकारी लोगों को हुई तो सभी ने तय किया कि नाग देवता का रूप होते हैं, इसलिए दंड मिलना तो निश्चित है, लेकिन यह गलती से हुआ है इसलिए कालांतर में लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा और तभी से गुड़िया पीटने की परंपरा का पालन अभी तक हो रहा है।