Nag Panchami 2024: नाग देवता की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, पूरी होगी मनचाही मुराद
धार्मिक मत है कि नाग पंचमी पर भगवान शिव संग नाग देवता (Nag Panchami Vrat Katha) की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही नाग देवता की कृपा से जीवन में आने वाली बलाएं टल जाती हैं। नाग पंचमी पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में नाग देवता की पूजा करने से सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 08 Aug 2024 04:00 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 अगस्त को नाग पंचमी है। यह पर्व हर वर्ष सावन महीने में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही पूजा के समय नाग देवता को दूध अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर देवों के देव महादेव की भी पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनका अभिषेक किया जाता है। अगर आप भी नाग देवता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो नाग पंचमी पर पूजा के समय यह व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha) जरूर पढ़ें।
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नाग पंचमी की कथा (Nag Panchami Katha)
सनातन शास्त्रों में निहित है कि द्वापर युग में राजा परीक्षित एक बार आखेट के लिए दल-बल के साथ वन गये थे। शिकार के दौरान राजा परीक्षित को प्यास लगी। उस समय राजा परीक्षित पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। भटकते-भटकते राजा परीक्षित एक ऋषि के आश्रम पर जा पहुंचे। इस आश्रम में ऋषि शमीक रहते थे। राजा परीक्षित ने कई बार ऋषि शमीक को पानी देने का आग्रह किया। हालांकि, ध्यान मग्न ऋषि शमीक ने राजा परीक्षित को जल प्रदान नहीं किया। उस समय राजा परीक्षित ने बाण पर मृत सांप रख ऋषि शमीक पर चला दिया। सांप ऋषि शमीक के गले में जा लपटा। राजा परीक्षित वहां से लौट गये।
ऋषि शमीक ध्यान में मग्न रहे। संध्याकाल में ऋषि शमीक के पुत्र ने देखा कि उनके पिता के गले में मृत सांप लपेटा हुआ है। तब ऋषि शमीक के पुत्र ने राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया। कालांतर में श्राप देने के सातवें दिन ही राजा परीक्षित की सर्पदंश से मृत्यु हो गई। यह बात जब उनके पुत्र जनमेजय को हुई, तो जनमेजय ने विशाल नागदाह यज्ञ (Nag Panchami Rituals) कराया। इस यज्ञ के चलते सांपों का नाश होने लगा। तब ऋषि आस्तिक मुनि ने सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग को दूध अर्पित कर जीवनदान दिया। साथ ही जनमेजय के नागदाह यज्ञ को भी रुकवाया। इस दिन से ही नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरुआत हुई ।
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