Naga Sadhu: नागा साधु बनने से पहले देनी होती है कठिन परीक्षा, जानें इनसे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें
Naga Sadhu जब भी साधु-संतों के जीवन की बात की जाती है तब नागा साधुओं की चर्चा अवश्य होती है। उनका जीवन पूर्ण रूप से भक्ति के लिए समर्पित रहता है। क्या आप जानते हैं कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत कठिन है?
दीक्षा लेने से पहले व्यक्ति की होती है परीक्षा (Naga Sadhu Life Interesting Facts)
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जब कोई आम आदमी नागा साधु बनने की इच्छा प्रकट करता है, तब अखाड़ा समिति अपने स्तर पर यह छान-बीन करती है कि क्या यह व्यक्ति नागा साधु के योग्य है या नहीं? जब समिति को यह संतुष्टि हो जाती है तभी उस व्यक्ति को अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है।
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प्रवेश के बाद व्यक्ति को कई जटिल परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। जिसमें सबसे पहली परीक्षा ब्रह्मचर्य है। इसमें 6 महीने से एक साल तक का समय लग सकता है। ब्रह्मचर्य की परीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद व्यक्ति को 5 गुरु- शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश द्वारा, जिन्हें पंच देव भी कहा जाता है, से दीक्षा प्राप्त करनी होती है।
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नागा साधु बनने से पहले अपने बीते हुए सांसारिक जीवन का त्याग करने के लिए नागा साधु अध्यात्मिक जीवन में कदम रखने से पहले स्वयं का पिंडदान करते हैं। साथ ही नागा साधु भिक्षा में मिला हुआ भोजन ही ग्रहण करते हैं। यदि किसी दिन उन्हें भोजन नहीं मिलता है तो उन्हें बिना खाए ही रहना पड़ता है।
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नागा साधुओं को आजीवन निर्वस्त्र रहना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वस्त्र को सांसारिक जीवन और आडंबर का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि वह अपने तन को ढकने के लिए वस्त्र की जगह भस्म का उपयोग करते हैं। साथ ही ठंड इत्यादि से बचने के लिए कठिन योग क्रिया करते हैं।
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नागा साधु किसी अन्य व्यक्ति के समक्ष सिर नहीं झुकाते हैं और ना ही किसी की निंदा करते हैं। लेकिन उनका सिर आशीर्वाद लेने के लिए केवल वरिष्ठ सन्यासियों के समक्ष ही झुकता है। इन सभी नियमों का पालन एक नागा साधु को आजीवन करना होता है।