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Narak Chaturdashi 2024: कार्तिक महीने में कब मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी? जानें शुभ मुहूर्त एवं योग

कार्तिक महीने में गंगा स्नान करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में प्रतिदिन आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। इस माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2024) मनाई जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 20 Oct 2024 05:08 PM (IST)
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Narak Chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। यह पर्व दीपोत्सव के दौरान मनाया जाता है। दीपोत्सव के पहले दिन धनतेरस मनाया जाता है। इसके अगले दिन नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली मनाई जाती है। वहीं, तीसरे दिन दिवाली मनाई जाती है। इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा व बलिप्रतिपदा मनाई जाती है। जबकि, दीपोत्सव के अंतिम दिन भाई दूज मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2024 Date) को संध्याकाल में दीप जलाया जाता है। आइए, नरक चतुर्दशी की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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नरक चतुर्दशी शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi Shubh Muhurat)

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। नरक चतुर्दशी के दिन संध्याकाल में दीपदान किया जाता है। इसके लिए 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।

नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi Significance)

सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसके लिए हर वर्ष दिवाली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन दिवाली मनाई जाती है। इस दिन प्रातः काल ब्रह्म बेला में गंगाजल और अपामार्ग युक्त पानी से स्नान करने पर साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

शुभ योग (Narak Chaturdashi Shubh Yoga)

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मंगलकारी प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। वहीं, यम देवता की उपासना करने से अभय वरदान प्राप्त होता है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 36 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।