Narasimha Jayanti 2024: भगवान विष्णु की पूजा करते समय जरूर करें ये आरती, पूरी होगी मनचाही मुराद
सनातन शास्त्रों में भगवान नरसिंह की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। भगवान का रूप बेहद डरावना है। भगवान नरसिंह आधे मानव और आधे सिंह है। उनका चेहरा और पंजे सिंह रूप में हैं। वैषणव समाज के अनुयायी भगवान नरसिंह की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मत है कि भक्त प्रह्लाद की रक्षा और हिरण्यकशिपु के वध हेतु भगवान नरसिंह अवतरित हुए थे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Narasimha Jayanti 2024: हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 21 मई को नरसिंह जयंती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में भगवान नरसिंह की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। भगवान का रूप बेहद डरावना है। भगवान नरसिंह आधे मानव और आधे सिंह है। उनका चेहरा और पंजे सिंह रूप में हैं। वैषणव समाज के अनुयायी भगवान नरसिंह की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मत है कि भक्त प्रह्लाद की रक्षा और हिरण्यकशिपु के वध हेतु भगवान नरसिंह अवतरित हुए थे। उनकी पूजा करने से भक्तों पर आने वाली सभी बलाएं टल जाती हैं। साथ ही भक्तों को भगवान नरसिंह का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी भगवान नरसिंह को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूजा के समय ये आरती जरूर करें।
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स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे॥
ॐ जय नरसिंह हरे...
तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥
ॐ जय नरसिंह हरे...
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी॥
ॐ जय नरसिंह हरे...
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥
ॐ जय नरसिंह हरे...
नरसिंह भगवान की आरती
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की ।
वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी ॥
पहली आरती प्रह्लाद उबारे ।
हिरणाकुश नख उदर विदारे ॥
दुसरी आरती वामन सेवा ।
बल के द्वारे पधारे हरि देवा ॥
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे ।
सहसबाहु के भुजा उखारे ॥
चौथी आरती असुर संहारे ।
भक्त विभीषण लंक पधारे ॥
पाँचवीं आरती कंस पछारे ।
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले ॥
तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा ।
हरषि-निरखि गावे दास कबीरा ॥
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