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Importance Of Bel Patra: शिवलिंग पर कभी ना चढ़ाए इस तरह के बेलपत्र, उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान

Importance Of Bel Patra एक बार भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Mon, 06 Jun 2022 10:01 PM (IST)
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Importance Of Bel Patra: बेलपत्र की माला भी इस विधि से शिवलिंग पर चढ़ा सकते है।

नई दिल्ली। Importance Of Bel Patra: भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की अलग-अलग कामनाओं को पूरा करते है। लेकिन अगर धन संबंधी परेशानी है तो आप जब भी शिव की पूजा करें तो शिवलिंग पर बेलपत्र जरूर चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि भगवान शिव को बेलपत्र ज्यादा प्रिय हैं और अगर शिवलिंग पर बेलपत्र और जल चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाए तो धन के अलावा इंसान की अन्य समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। 

ऐसा भी माना जाता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है, बड़े से बड़ा रोग दूर होता है, संतान सुख प्राप्त होता है तथा कोर्ट के मुकदमों में जीत हासिल होती है। आइए जानते हैं कि शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। 

जब भी आप भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने जाएं तो इस विधि से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएंगे तो आपकी धन संबंधित समस्या खत्म हो जाएगी। सबसे पहले आप वृक्ष से बेलपत्र ले आइए। इनमें सें बिना कटे-फटे 11 या 21 बेल पत्र को शुद्ध पानी से साफ कर लीजिए। जिसके बाद एक कटोरे में गाय का दूध लीजिए।

जिसमें आपके स्वच्छ बेलपत्र डाल दीजिए। इतने आप जिस विधि से शिवलिंग पर पूजा करते है वह कर लीजिए। अब आप दूध के कटोरे से बेलपत्र निकाल लीजिए और उन्हें गंगाजल से स्वच्छ कर दीजिए। 11 या 21 बेलपत्र जो आपने स्वच्छ किए है उनके हर पत्ते पर चंदन से ॐ बना दीजिए और इत्र छिड़ककर शिवलिंग पर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए सभी बेल पत्र चढ़ा दीजिए।

इसके एक हफ्ते बाद ही आपको इसका परिणाम दिखाई देगा। यह केवल भगवान शिव की पूूूजा में  किया जाता है। आप चाहे तो बेलपत्र की माला भी इस विधि से शिवलिंग पर चढ़ा सकते है। 

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से जुड़ी पौराणिक कथा

जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा।

चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया। बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी।

 डिसक्लेमर

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