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New Year 2024 Upay: नए साल के पहले दिन करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, मानसिक तनाव से मिलेगी निजात

चंद्र देव मन के कारक हैं। कुंडली में चंद्रमा मजबूत रहने से व्यक्ति हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। साथ ही हर शुभ कार्य में व्यक्ति को सफलता मिलती है। ज्योतिष मानसिक तनाव से निजात पाने के लिए कुंडली में चंद्रमा मजबूत करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मानिसक तनाव से पाना चाहते हैं तो नव वर्ष के पहले दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 28 Dec 2023 01:50 PM (IST)
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New Year 2024 Upay: नए साल के पहले दिन करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, मानसिक तनाव से मिलेगी निजात

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। New Year 2024 Upay: साल 2024 की शुरुआत भगवान शिव को समर्पित सोमवार के दिन से हो रही है। शास्त्रों में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विस्तार से वर्णन है। धार्मिक मत है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र देव मन के कारक हैं। कुंडली में चंद्रमा मजबूत रहने से व्यक्ति हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। साथ ही हर शुभ कार्य में व्यक्ति को सफलता मिलती है। ज्योतिष मानसिक तनाव से निजात पाने के लिए कुंडली में चंद्रमा मजबूत करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मानिसक तनाव से पाना चाहते हैं, तो नव वर्ष के पहले दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक तनाव से निजात मिलती है।

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चन्द्र कवच

समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम् ।

वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥

एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ।

शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः ॥

चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः ।

प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः ॥

पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा ।

करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः ॥

हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः ।

मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः ॥

ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा ।

अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा ॥

सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ।

एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ॥

यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥

चन्द्र स्तोत्र

श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।

चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव:।।

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।

नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।

क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।

हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।

सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।

सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।

राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।

ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।