Nowruz 2023: आज है पारसी नववर्ष का पहला दिन नवरोज, जानें कब और क्यों मनाया जाता है
Nowruz 2023 पारसी धर्म गुरुओं की मानें तो नवरोज दो पारसी शब्दों नव अर्थात नया और रोज अर्थात दिन से मिलकर बना है। आसान शब्दों में कहें तो नवरोज का अर्थ नया दिन है। इस दिन पारसी समुदाय के लोग नववर्ष मनाते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 21 Mar 2023 03:10 PM (IST)
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Nowruz 2023: आज नवरोज है। इस दिन पारसी समुदाय के लोग नववर्ष मनाते हैं। पारसी नववर्ष के पहले दिन को नवरोज कहा जाता है। इसे पारसी नव वर्ष, पतेती, नवरोज और जमशेदी नवरोज आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन पारसी समुदाय के लोग एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। आज दुनियाभर में उत्सव जैसा माहौल है। लोग हर्षोउल्लास के साथ नवरोज मना रहे हैं। आइए, इस पर्व के बारे में विस्तार से जानते हैं-
नवरोज कब मनाया जाता है ?पारसी धर्म गुरुओं की मानें तो नवरोज दो पारसी शब्दों नव अर्थात नया और रोज अर्थात दिन से मिलकर बना है। आसान शब्दों में कहें तो नवरोज का अर्थ नया दिन है। इस दिन पारसी समुदाय के लोग नववर्ष मनाते हैं। इस पर्व को तीन हजार साल से मनाया जा रहा है। अंग्रेजी कैलेंडर में नववर्ष की शुरुआत 1 जनवरी को होती है, तो पारसी समुदाय में नववर्ष की शुरुआत 21 मार्च से होती है। पारसी कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 360 दिन होते हैं। जबकि, 5 दिन गाथा के लिए चयनित है। इन 5 दिनों में पारसी समुदाय के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं।
क्या है इतिहास और महत्व ?इतिहासकारों की मानें तो राजा जमशेद की याद में यह पर्व मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तीन हजार साल पहले आज के दिन राजा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की शुरुआत की थी। इसके अलावा, नवरोज के दिन ही राजा जमशेद ने ईरान में सिंहासन ग्रहण किया था। उस समय से यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं ?पारसी समुदाय के लोगों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। इस दिन सभी लोग सवेरे उठकर स्नान-ध्यान कर तैयार हो जाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं। फिर पूरी, पकवान और मिष्ठान बनाए जाते हैं। इसके बाद एक दूसरे के घर जाकर नवरोज की शुभकामनाएं देते हैं। इस मौके पर गिफ्ट देने का भी रिवाज है। लोग नवरोज के दिन घर पर चंदन की लकड़ी जरूर रखते हैं। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी का आगमन होता है।
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