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Panch Mukharvind Darshan: बेहद दिव्य है भगवान महाकाल का पंच मुखारविंद स्वरूप, साल में सिर्फ एक बार होते हैं दर्शन

महाशिवरात्रि के पश्चात प्रतिपदा तिथि पर चंद्र दर्शन के दिन भगवान महाकाल के पंच मुखारविंद स्वरूप के दर्शन होते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त भगवान शंकर के इस स्वरूप (Panch Mukharvind Darshan) का दर्शन करते हैं उन्हें जन्मों जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पूरी शिवनवरात्रि का पुण्य फल प्राप्त होता है। तो आइए इस स्वरूप के बारे में विस्तार से जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 11 Mar 2024 11:45 AM (IST)
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Panch Mukharvind Darshan: बेहद कल्याणकारी हैं बाबा महाकाल के ये स्वरूप
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Panch Mukharvind Darshan: भगवान महाकाल की पूजा बेहद शुभ और कल्याणकारी मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी की पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि बाबा महाकाल महाशिवरात्रि के पश्चात एक ऐसा रूप लेते हैं, जिसमें उनके पांच स्वरूपों के दर्शन होते हैं?

इस पल का इंतजार शिव भक्तों को पूरे साल होता है। तो आइए उनके इस पंच मुखारविंद शृंगार और स्वरूप के बारे में जानते हैं -

इस दिन होता है पंच मुखारविंद शृंगार

साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के बाद फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर चंद्र दर्शन के दिन देवों के देव महादेव के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन होते हैं। इस पंच मुखारविंद शृंगार में उन्हें एक साथ पांच मुखारविंद धारण कराया जाता है, जिसमें छबीना, मनमहेश, उमा-महेश, होलकर व शिव तांडव रूप शामिल होता है।

बेहद कल्याणकारी हैं बाबा महाकाल के ये स्वरूप

भगवान शिव को पंचानन के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने इस स्वरूप में पूरे जगत का कल्याण करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग भगवान शंकर के इस स्वरूप का दर्शन करते हैं उन्हें जन्मों जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पूरी शिवनवरात्रि का पुण्य फल प्राप्त होता है। जानकारी के लिए बता दें, बाबा महाकाल के इन पांच स्वरूपों के दर्शन साल में सिर्फ एक बार ही होते हैं।

पंच मुखारविंद स्वरूप के चमत्कारी रहस्य

मनमहेश - इस नाम का तात्पर्य है कि मन को मोह लेने वाले महेश। भोलेनाथ के इस स्वरूप को महाकाल मंदिर में मनमहेश मुखारविंद कहा जाता है।

उमा-महेश -  महाकाल बाबा के इस मुखारविंद में शिव-पार्वती के एक साथ दर्शन होते हैं। इस रूप में महादेव की गोद में मां पार्वती विराजित होती हैं, इसलिए इस मुखारविंद का नाम उमा-महेश रखा गया है।

शिव तांडव -  इस मुखारविंद में भगवान महाकाल तांडव करते हुए दिखाई देते हैं, जिसके चलते इस रूप का नाम शिव तांडव रखा गया।

होलकर -  इस मुखारविंद को होलकर राजवंश द्वारा बनवाया गया था, जिसके चलते इसे होलकर स्वरूप कहा जाता है।

छबीना -  इस मुखारविंद में महाकाल बाबा के सबसे खूबसूरत स्वरूप के दर्शन होते हैं। यही वजह है कि इसे छबीना शृंगार कहा जाता है।

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