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Panchkanya Story: जानें कौन हैं वो पांच कन्याएं, जो संतान होने पर भी रहीं कुंवारी

हिंदू धर्म में पंच कन्याओं की दिव्यता का वर्णन विस्तार से किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि वे विवाह और संतान प्राप्ति के बाद भी सदैव के लिए कुंवारी रहती थीं। इसके साथ ही उन्हें भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता था तो आइए उन पंचकन्याओं के बारे में जानते हैं जिनका जिक्र हमारे शास्त्रों में भी है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 13 Jul 2024 04:12 PM (IST)
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Panchkanya Story: पंचकन्याओं से जुड़ा रहस्य -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म अपनी मान्यताओं और पूजा-पाठ के लिए जाना जाता है। वहीं, सनातन धर्म में कुछ ऐसी दिव्य कन्याओं के बारे में भी बताया गया है, जिनके अंदर कुछ ऐसी दिव्य शक्तियां थीं, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी। दरअसल, शास्त्रों में ऐसी पांच कन्याओं का जिक्र किया गया है, जो विवाह और संतान प्राप्ति के पश्चात भी सदैव के लिए कुंवारी कहलाईं हैं। इनकी दिव्य शक्तियों का जिक्र ग्रंथों में भी किया गया है, तो आइए उनके बारे में जानते हैं -  

देवी अहिल्या

वाल्मीकि रामायण के बालकांड में देवी अहिल्या के बारे में बताया गया है। देवी अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से हुआ था। इंद्र देव के छलावे में आने के बाद ऋषि गौतम ने उन्हें सदैव के लिए शिला बनने का श्राप दे दिया था, जब त्रेतायुग युग में प्रभु श्रीराम ने उनका अपने चरणों से स्पर्श किया था, तब जाकर उन्हें फिर से नारी रूप प्राप्त हुआ था। इसके साथ ही वह आजीवन कुंवारी कहलाईं।

द्रौपदी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था, जो देखने में बेहद सुंदर और गुणवान थीं। उन्हें याज्ञसेनी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांच पांडवों के साथ विवाह होने के बाद भी द्रौपदी सदा कुंवारी कहलाईं।

मंदोदरी

लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी का नाम भी पंच कन्याओं में शामिल था। उनके पिता का नाम मयासुर और मां का नाम हेमा था। मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था। विवाह के बाद वो अति बलशाली पुत्रों की मां बनीं। इसके बावजूद भी मंदोदरी का कौमार्य भंग नहीं हुआ था।

तारा

तारा एक अप्सरा थीं, जिनका विवाह बाली के साथ हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि तारा को भगवान से सदैव चिर कौमार्य का वरदान प्राप्त था।

कुंती

कुंती भी पंच कन्याओं में से एक मानी जाती हैं। उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा पांडु से हुआ था। हालांकि पांडु को यह श्राप प्राप्त था कि 'यदि वो अपनी पत्नी कुंती का स्पर्श करेंगे, तो इससे उनकी मृत्यु हो जाएगी'। वहीं, कुंती  देवताओं के आशीर्वाद से मां बनीं। संतान प्राप्ति के बाद भी कुंती सदैव के लिए कुंवारी कहलाईं।

Img Caption - Freepic

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।