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Papankusha Ekadashi पर भगवान विष्णु को इन भोग से करें प्रसन्न, घर में बनी रहेगी बरकत

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2024) का व्रत हिंदुओं में बेहद खास माना जाता है। इस उपवास को रखने से सौभाग्य समृद्धि और खुशी में वृद्धि होती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आइए इस दिन का शुभ मुहूर्त और भगवान विष्णु के प्रिय भोग के बारे में जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Tue, 08 Oct 2024 02:14 PM (IST)
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Papankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी पर लगाएं ये भोग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पापांकुशा एकादशी को परम मंगलकारी माना जाता है। यह शुभ व्रत भगवान विष्णु के स्वरूप श्री पद्मनाभ जी की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान से आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। यह एकादशी हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन आती है। इस दिन का व्रत रखने से पापों का प्रायश्चित होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही श्री हरि प्रसन्न भी होते हैं, जब यह व्रत इतना करीब है,

तो आइए विष्णु जी को खुश करने के लिए उनके प्रिय भोग (Papankusha Ekadashi 2024 Bhog 2024) के बारे में जानते हैं।

पापांकुशा एकादशी पर लगाएं ये भोग (Papankusha Ekadashi 2024 Bhog 2024)

पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को ऋतु फल, पंजीरी, केसर की खीर, पंचामृत आदि चीजों का भोग लगा सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन भोग को अर्पित करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। एकादशी का दिन श्री हरि को बेहद प्रिय है। ऐसे में उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं, जिससे व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।

यदि इनमें से आपके पास कोई भी चीजें उपलब्ध नहीं हैं, तो तुलसी पत्र डालकर आप किसी भी सात्विक भोजन को आप श्री हरि को भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं।

पापांकुशा एकादशी शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 14 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल 13 अक्टूबर, 2024 को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन ज्यादा से ज्यादा धार्मिक कार्यों से जुड़े रहें।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।