Parashurama Jayanti 2024: अक्षय तृतीया पर करें भगवान परशुराम के 108 नामों का मंत्र जप, आर्थिक तंगी होगी दूर
धार्मिक मत है कि परशुराम जयंती (Parashurama Jayanti 2024) पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान परशुराम की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से जगत के संचालनकर्ता की पूजा करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 08 May 2024 04:27 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Parashurama Jayanti 2024: हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 10 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया है। अतः परशुराम जयंती 10 मई को मनाई जाएगी। इस दिन अक्षय तृतीया भी है। अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी की जाती है। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं, वैष्णव समाज के अनुयायी भगवान विष्णु के पष्ठ (छठे) अवतार परशुराम जी की पूजा-उपासना करते हैं। धार्मिक मत है कि परशुराम जयंती पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान परशुराम की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से जगत के संचालनकर्ता की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान परशुराम के 108 नामों का मंत्र जप करें। भगवान परशुराम के नाम मंत्र जप से सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
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भगवान परशुराम के 108 नाम
- ॐ रामाय नमः
- ॐ राजाटवीवह्नये नमः
- ॐ रामचन्द्रप्रसादकाय नमः
- ॐ राजरक्तारुणस्नाताय नमः
- ॐ राजीवायतलोचनाय नमः
- ॐ रैणुकेयाय नमः
- ॐ रुद्रशिष्याय नमः
- ॐ रेणुकाच्छेदनाय नमः
- ॐ रयिणे नमः
- ॐ रणधूतमहासेनाय नमः
- ॐ रुद्राणीधर्मपुत्रकाय नमः
- ॐ राजत्परशुविच्छिन्नकार्तवीर्यार्जुनद्रुमाय नमः
- ॐ राताखिलरसाय नमः
- ॐ रक्तकृतपैतृक तर्पणाय नमः
- ॐ रत्नाकरकृतावासाय नमः
- ॐ रतीशकृतविस्मयाय नमः
- ॐ रागहीनाय नमः
- ॐ रागदूराय नमः
- ॐ रक्षितब्रह्मचर्यकाय नमः
- ॐ राज्यमत्तक्षत्त्रबीज भर्जनाग्निप्रतापवते नमः
- ॐ राजद्भृगुकुलाम्बोधिचन्द्रमसे नमः
- ॐ रञ्जितद्विजाय नमः
- ॐ रक्तोपवीताय नमः
- ॐ रक्ताक्षाय नमः
- ॐ रक्तलिप्ताय नमः
- ॐ रणोद्धताय नमः
- ॐ रणत्कुठाराय नमः
- ॐ रविभूदण्डायित महाभुजाय नमः
- ॐ रमानाधधनुर्धारिणे नमः
- ॐ रमापतिकलामयाय नमः
- ॐ रमालयमहावक्षसे नमः
- ॐ रमानुजलसन्मुखाय नमः
- ॐ रणैकमल्लाय नमः
- ॐ रसनाऽविषयोद्दण्ड पौरुषाय नमः
- ॐ रामनामश्रुतिस्रस्तक्षत्रियागर्भसञ्चयाय नमः
- ॐ रोषानलमयाकाराय नमः
- ॐ रेणुकापुनराननाय नमः
- ॐ रधेयचातकाम्भोदाय नमः
- ॐ रुद्धचापकलापगाय नमः
- ॐ राजीवचरणद्वन्द्वचिह्नपूतमहेन्द्रकाय नमः
- ॐ रामचन्द्रन्यस्ततेजसे नमः
- ॐ राजशब्दार्धनाशनाय नमः
- ॐ राद्धदेवद्विजव्राताय नमः
- ॐ रोहिताश्वाननार्चिताय नमः
- ॐ रोहिताश्वदुराधर्षाय नमः
- ॐ रोहिताश्वप्रपावनाय नमः
- ॐ रामनामप्रधानार्धाय नमः
- ॐ रत्नाकरगभीरधिये नमः
- ॐ राजन्मौञ्जीसमाबद्ध सिंहमध्याय नमः
- ॐ रविद्युतये नमः
- ॐ रजताद्रिगुरुस्थानाय नमः
- ॐ रुद्राणीप्रेमभाजनाय नमः
- ॐ रुद्रभक्ताय नमः
- ॐ रौद्रमूर्तये नमः
- ॐ रुद्राधिकपराक्रमाय नमः
- ॐ रविताराचिरस्थायिने नमः
- ॐ रक्तदेवर्षिभावनाय नमः
- ॐ रम्याय नमः
- ॐ रम्यगुणाय नमः
- ॐ रक्ताय नमः
- ॐ रातभक्ताखिलेप्सिताय नमः
- ॐ रचितस्वर्गगोपाय नमः
- ॐ रन्धिताशयवासनाय नमः
- ॐ रुद्धप्राणादिसञ्चाराय नमः
- ॐ राजद्ब्रह्मपदस्थिताय नमः
- ॐ रत्नसानुमहाधीराय नमः
- ॐ रसासुरशिखामणये नमः
- ॐ रक्तसिद्धये नमः
- ॐ रम्यतपसे नमः
- ॐ राततीर्थाटनाय नमः
- ॐ रसिने नमः
- ॐ रचितभ्रातृहननाय नमः
- ॐ रक्षितभातृकाय नमः
- ॐ राणिने नमः
- ॐ राजापहृततातेष्टिधेन्वाहर्त्रे नमः
- ॐ रसाप्रभवे नमः
- ॐ रक्षितब्राह्म्यसाम्राज्याय नमः
- ॐ रौद्राणेयजयध्वजाय नमः
- ॐ राजकीर्तिमयच्छत्राय नमः
- ॐ रोमहर्षणविक्रमाय नमः
- ॐ राजसौर्यरसाम्भोधिकुम्भसम्भूतिसायकाय नमः
- ॐ रात्रिन्दिवसमाजाग्रत्प्रतापग्रीष्मभास्कराय नमः
- ॐ राजबीजोदरक्षोणीपरित्यागिने नमः
- ॐ रसात्पतये नमः
- ॐ रसाभारहराय नमः
- ॐ रस्याय नमः
- ॐ राजीवजकृतक्षमाय नमः
- ॐ रुद्रमेरुधनुर्भङ्ग कृद्धात्मने नमः
- ॐ रौद्रभूषणाय नमः
- ॐ रामचन्द्रमुखज्योत्स्नामृतक्षालितहृन्मलाय नमः
- ॐ रामाभिन्नाय नमः
- ॐ रुद्रमयाय नमः
- ॐ रामरुद्रो भयात्मकाय नमः
- ॐ रामपूजितपादाब्जाय नमः
- ॐ रामविद्वेषिकैतवाय नमः
- ॐ रामानन्दाय नमः
- ॐ रामनामाय नमः
- ॐ रामाय नमः
- ॐ रामात्मनिर्भिदाय नमः
- ॐ रामप्रियाय नमः
- ॐ रामतृप्ताय नमः
- ॐ रामगाय नमः
- ॐ रामविश्रमाय नमः
- ॐ रामज्ञानकुठारात्तराजलोकमहातमसे नमः
- ॐ रामात्ममुक्तिदाय नमः
- ॐ रामाय नमः
- ॐ रामदाय नमः
- ॐ राममङ्गलाय नमः
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