Parsi New Year 2024: कब से शुरू हो रहा है पारसी नववर्ष? बेहद खास है इसे मनाने का तरीका
नवरोज यानी पारसी समुदाय के नए साल की शुरुआत होती है। पारसी नववर्ष (Parsi New Year 2024) के दिन दुनियाभर में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। इस खास अवसर पर लोग अपने घरों को बेहद सुंदर सजाते हैं और पकवान बनाते हैं। इसके अलावा एक-दूसरे को उपहार देते हैं और राजा जमशेद की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानते हैं पारसी नववर्षसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Parsi New Year History: पारसी समुदाय के लोग नववर्ष अगस्त के महीने में मनाते हैं। पारसी नववर्ष के पहले दिन को नवरोज कहा जाता है। नवरोज का पर्व पारसी राजा जमशेद के नाम पर रखा गया था। पारसी या शहंशाही कैलेंडर बनाने के लिए पारसी राजा जमशेद को श्रेय दिया जाता है। चलिए इस लेख में जानते हैं पारसी नववर्ष कैसे मनाया जाता है?
इस दिन से हो रही है शुरुआत
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, विश्व भर में नए साल की शुरुआत 01 जनवरी से होती है और सनातन धर्म में चैत्र माह से नए साल की शुरुआत होती है। वहीं, पारसी कैलेंडर के अनुसार, नए साल की शुरुआत 16 अगस्त से होती है। पारसी नव वर्ष को नवरोज उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि पारसी कैलेंडर में सौर गणना की शुरुआत करने वाले महान फारसी राजा का नाम जमशेद था।
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कैसे मनाए पारसी नववर्ष?
पारसी नववर्ष (Parsi New Year Celebrations) के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। घर की विशेष साफ-सफाई करें। इसके बाद रंगोली बनाएं और घर को सुंदर तरीके से सजाएं। अब अगरबत्ती जलाएं, जिससे आपका घर सुगंधित होगा। इस खास अवसर पर महिलाएं कई तरह के व्यंजन बनाती हैं और लोग अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ खाते हैं। इसके अलावा एक-दूसरे को विशेष उपहार भी देते हैं। ऐसे माना जाता है कि पारसी नववर्ष के दिन अपने करीबियों को गिफ्ट देने और राजा जमशेद की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और परिवार के लोगों में बीच सुख-शांति बनी रहती है।वर्ष में 2 बार क्यों मनाते हैं नवरोज
दुनियाभर में कई जगहों पर नवरोज का पर्व वर्ष में 2 बार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। एक 21 मार्च और दूसरा 16 अगस्त को मनाया जाता है। विश्व भर में नवरोज पारसी (Parsi New Year Significance) पंचांग के पहले महीने में यानी कि 21 मार्च को मनाया जाता है। भारत के पारसी नवरोज को शहंशाही पंचांग के मुताबिक मनाते हैं। इसी वजह से वह पारसी नववर्ष को 16 अगस्त को मनाते हैं।
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।
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