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Paryushan 2024: विकारों के विसर्जन का समय है पर्युषण पर्व, जानें कब से हो रही है शुरुआत

पर्यूषण पर्व जैन समाज में मनाया जाने वाला एक वार्षिक त्योहार है जिसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह में पर्युषण का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग व्रत उपवास और तप आदि करते हैं। इसके साथ ही अपने आराध्य महावीर जी की पूजा करते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 31 Jul 2024 05:00 PM (IST)
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Paryushan 2024: कब मनाया जाएगा जैन धर्म का पर्युषण महापर्व।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जैन धर्म सबसे प्राचीन धर्मों में से एक माना जाता है। जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व माना गया है। यह लगभग 8 दिवसीय जैन त्योहार है, जिसमें समुदाय के लोग आध्यात्मिकता में लिप्त रहते हैं। यह त्यौहार संवत्सरी के साथ समाप्त होता है, जो पर्युषण के आखिरी दिन मनाया जाता है। पर्युषण पर्व को धीरज पर्व, के नाम से भी जाना जाता है। जहां श्वेतांबर जैन अनुयायियों में पर्युषण पर्व 8 दिनों तक मनाने का विधान है, वहीं दिगंबर जैन का पर्युषण पर्व 10 दिनों तक चलता है।

कब से हो रहा है शुरू

भगवान महावीर ने भाद्रपद महीने की शुक्ल पंचमी से इस परंपरा की शुरुआत की थी। ऐसे में इस साल पर्युषण पर्व की शुरुआत 31 अगस्त, 2024 से हो रही है, जो 8 अगस्त, 2024 तक चलने वाला है।

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पर्युषण पर्व का महत्व (Importance of Paryushan)

पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के अनुयायी एक साथ आते हैं और अपने मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एक साथ उपवास और ध्यान करते हैं। इसे महापर्व भी कहा जाता है। जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस महापर्व साधक को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा देता है।

साथ ही इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना, तप और ध्यान आदि भी किया जाता है। इन दिनों में जैन धर्म के लोग व्रत, तप, साधना करके आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और पूरे वर्ष में जाने-अनजाने में किए गए पापों के लिए ईश्वर से क्षमा याचना भी करते हैं। इस पर्व के दौरान प्रतिदिन शाम को पश्चाताप के लिए प्रतिक्रमण किया जाता है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।