Pauranik Katha: जानें श्री गणेश कैसे बनें मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Katha आज शुक्रवार है और आज का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। जैसा कि हम सभी जानते हैं मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र दिन गणेश जी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गणेश जी मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र कैसे बने?
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 26 Mar 2021 10:30 AM (IST)
Pauranik Katha: आज शुक्रवार है और आज का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। जैसा कि हम सभी जानते हैं मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र दिन गणेश जी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गणेश जी मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र कैसे बने? अगर नहीं, तो जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको इसकी जानकारी दे रहे हैं। आइए पढ़ते हैं मां लक्ष्मी की यह पौराणिक कथा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार लक्ष्मी जी को अपने आप पर बहुत अभिमान हो गया था। उन्हें यह लगने लगा था कि पूरा जगत उनकी पूजा करता है। उन्हें पाने के लिए लालायित भी रहता है। विष्णु जी उनकी इस भावना को समझ गए थे। विष्णु जी ने माता लक्ष्मी का घमण्ड व अहंकार ध्वस्त करने का सोचा। उन्होंने उनसे कहा कि भले ही आपको सारा संसार पूजता है। सभी आपको पाने के लिए व्याकुल रहते हैं। लेकिन आप में एक बहुत बड़ी कमी है। यह सुनते ही मां लक्ष्मी को लगा कि ऐसा क्या है जिसकी उनमें कमी है।
मां लक्ष्मी ने विष्णु जी से अपनी इस कमी को जानना चाहा। तब विष्णु जी ने कहा कि एक स्त्री तब तक पूरी नहीं होती जब तक वो मां नहीं बनती है। आप नि:सन्तान हैं इसलिए आप अपूर्ण हैं। यह जानकर लक्ष्मी जी को बेहद दुख हुआ। उन्होंने अपनी पीड़ा अपनी सखी को बताई। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके तो दो पुत्र हैं। वो उनमें से श्री गणेश को उन्हें गोद दे दें।
मां लक्ष्मी का दुख देख माता पार्वती ने फैसला किया कि वो गणेश जी को उन्हें गोद दे देंगी। उन्होंने गणेश जी को माता लक्ष्मी को गोद दे दिया। बस तब से ही भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक-पुत्र माने जाने लगे। गणेश को पुत्र रूप में पाकर माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न हुईं। तब मां लक्ष्मी ने कहा कि जो उनके साथ गणेश जी की पूजा नहीं करेगा वो उसके पास वास नहीं करेंगी। इसलिए सदैव लक्ष्मी जी के साथ उनके दत्तक-पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'