Pauranik Kathayen: देवी भगवती इस तरह कहलाईं मां दुर्गा, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Kathayen नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। हर तरफ माता रानी यानी मां वैष्णों के भजन ही सुनाई दे रहे हैं। नवरात्रि के पावन पर्व पर हम लगातार ही आपके लिए कई पौराणिक कथाओं की जानकारी ला रहे हैं।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:04 AM (IST)
Pauranik Kathayen: नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। हर तरफ माता रानी यानी मां वैष्णों के भजन ही सुनाई दे रहे हैं। नवरात्रि के पावन पर्व पर हम लगातार ही आपके लिए कई पौराणिक कथाओं की जानकारी ला रहे हैं। आज भी हम आपके लिए एक ऐसी ही पौराणिक कथा लाए हैं जिसमें हम आपको यह बताएंगे कि नौ देवियों में से माता भगवती का नाम दुर्गा क्यों पड़ा। आइए पढ़ते हैं यह कथा।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में दुर्गम नाम का एक दैत्य था। दुर्गम ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था और सभी वेदों पर वश कर लिया था। इससे देवगणों का बल क्षीण हो गया था। फिर इस दैत्य ने स्वर्ग पर भी अपना आधिपत्या स्थापित कर लिया। इस मुश्किल की घड़ी में देवी भगवती को याद किया। देवी भगवती ने शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ तथा चण्ड-मुण्ड का वध किया था। सभी ने इस शक्ति का आह्वान किया। देवताओं के आह्वान करने से देवी प्रकट हुईं। मां ने पूछा कि सभी ने उन्हें क्यों बुलाया। सभी ने दुर्गम दैत्य के बारे में देवी भगवती को बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह दुर्गम दैत्य ने स्वर्ग पर आधिपत्य हासिल कर उन्हें परेशान कर रखा है। देवताओं की बात सुनकर देवी ने उन्हें दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिया।
इस बात का पता राजा दुर्गम को चला। यह दैत्यों का राजा था। यह सुन दुर्गम ने देवताओं पर फिर से आक्रमण कर दिया। फिर मां भगवती ने दुर्गम की सेना का संहार किया। दुर्गम नाम के दैत्य का वध करने पर ही मां भगवती का नाम दुर्गा पड़ा। मां दुर्गा और इनके स्वरूपों ने केवल दुर्गम दैत्य का ही नहीं, बल्कि महिषासुर, रक्तबीज, शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ तथा चण्ड-मुण्ड का वध कर देवताओं की रक्षा की है।
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