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Paush Amavasya 2022: साल की आखिरी अमावस्या आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Paush Amavasya 2022 साल की आखिरी अमावस्या पौष अमावस्या है। इस साल 23 दिसंबर 2022 को पड़ रही है। इस दिन स्नान दान के साथ पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना शुभ माना जाता है। जानिए पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त पूदा विधि और महत्व।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Fri, 23 Dec 2022 07:49 AM (IST)
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Paush Amavasya 2022: साल की आखिरी पौष अमावस्या पर रहा खास योग, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि
नई दिल्ली, Paush Amavasya 2022: हिंदू धर्म में पौष अमावस्या का काफी अधिक महत्व है। ये साल की आखिरी अमावस्या मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। अमावस्या तिथि के दिन स्नान दान के साथ पितरों का तर्पण, पिंडदान के साथ भगवान सूर्य और श्री हरि विष्णु का पूजा करने का विधान है। साल की आखिरी अमावस्या में कई खास योग बन रहे हैं। साल की आखिरी अमावस्या शुक्रवार को मनाई जा रही है। जानिए साल की आखिरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।

पौष अमावस्या तिथि 2022

पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 22 दिसंबर,  गुरुवार को शाम 07 बजकर 13 मिनट आरंभ हो रही है जो अगले दिन 23 दिसंबर, शुक्रवार को शाम 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसलिए इस साल पौष अमावस्या 23 दिसंबर को है।

पौष अमावस्या 2022 स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

चर-सामान्य- सुबह 07:11 बजे से सुबह 08:28 बजे तक

लाभ-उन्नति - सुबह 08:28 बजे से सुबह 09:45 बजे तक और

अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त- सुबह 09:45 बजे से 11:03 बजे तक

गंड योग- सुबह से लेकर दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

पौष अमावस्या 2022 महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान दान के साथ देवी देवता की पूजा अर्चना करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही अमावस्या तिथि में पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

पौष अमावस्या 2022 पूजा विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करना चाहिए। अगर आप गंगा या अन्य नदी में स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे है, तो घर में ही नहाने वाले पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होगी। इसके बाद भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देने के साथ सभी देवी-देवता की पूजा करें।
  • पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
  • पितृ दोष से निजात पाने के लिए पितरों के पसंद का भोजन बनाएं। गाय, कौवा, कुत्ता के लिए भोजन निकालने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। 
डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'