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Paush Amavasya 2024: पितरों को जल देते समय करें इन मंत्रों का जाप और स्तोत्र का पाठ, पितृ दोष से मिलेगी निजात

Paush Amavasya 2024 शास्त्रों में पौष अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का विधान है। अतः साधक पौष अमावस्या तिथि पर स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से पितरों को जल का अर्घ्य देते हैं। साथ ही भोजन अर्पित करते हैं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी क्षेत्रों में अकल्पनीय सफलता मिलती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 10 Jan 2024 06:25 PM (IST)
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Paush Amavasya 2024: पितरों को जल देते समय करें इन मंत्रों का जाप

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Paush Amavasya 2024: पौष अमावस्या 11 जनवरी को है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। शास्त्रों में पौष अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का विधान है। अतः साधक पौष अमावस्या तिथि पर स्नान-ध्यान के बाद पितरों को जल का अर्घ्य देते हैं। साथ ही भोजन अर्पित करते हैं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी क्षेत्रों में अकल्पनीय सफलता मिलती है। अगर आप भी पितरों की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पौष अमावस्या पर विधिपूर्वक पितरों की पूजा करें। वहीं, पितरों को जल देते समय इन मंत्रों का जाप और इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।

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मंत्र

1. ॐ पितृ देवतायै नम:

2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

4. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

5. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

पितृ स्तोत्र

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।

मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।

तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।

द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।

योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।

जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।

नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

पितृ स्तोत्र के लाभ

ज्योतिषियों की मानें तो पितृ दोष लगने पर व्यक्ति को जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। साथ ही आर्थिक स्थिति बदहाल हो जाती है। सभी शुभ कार्यों में बाधा आती है। साथ ही दुर्घटना का खतरा भी बढ़ जाता है। अतः नियमित रूप से पितरों की पूजा करनी चाहिए। पितृ के प्रसन्न होने से सुख, सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है।

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