Pausha Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी पर इस योग में करें भगवान विष्णु की पूजा, पूरी होगी मनचाही मुराद
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि 20 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और 21 जनवरी को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि की गणना के अनुसार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है। साधक 21 जनवरी को एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं 22 जनवरी को पारण करेंगे। पारण का समय सुबह 07 बजकर 14 मिनट से लेकर 09 बजकर 21 मिनट तक है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 18 Jan 2024 04:33 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pausha Putrada Ekadashi 2024: पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 21 जनवरी को है। इस दिन पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। अतः इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से नवविवाहित और निःसंतान दंपत्तियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अतः साधक एकादशी तिथि पर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर इस शुभ मुहूर्त में विष्णु जी की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि 20 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और 21 जनवरी को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि की गणना के अनुसार, 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है। साधक 21 जनवरी को एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं, 22 जनवरी को पारण करेंगे। पारण का समय सुबह 07 बजकर 14 मिनट से लेकर 09 बजकर 21 मिनट तक है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। ब्रह्म योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 48 मिनट से हो रहा है, जो 22 जनवरी को सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक है। इससे पूर्व शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। इस दिन भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। भद्रा योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 23 मिनट से शाम 07 बजकर 26 मिनट तक है।यह भी पढ़ें: Ram Navami 2024 Date: साल 2024 में कब है राम नवमी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्वडिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।