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Pausha Putrada Ekadashi 2024: आज मनाई जा रही है पौष पुत्रदा एकादशी, जानें इसके पारण का समय और नियम

Pausha Putrada Ekadashi 2024 सनातन धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस साल यह उपवास 21 जनवरी दिन रविवार यानी आज रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त इस व्रत को रखते हैं उन्हें देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो चलिए इससे जुड़ी कुछ विशेष बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 21 Jan 2024 09:00 AM (IST)
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Pausha Putrada Ekadashi 2024: आज मनाई जा रही है पौष पुत्रदा एकादशी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pausha Putrada Ekadashi 2024: पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पौष माह के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 21 जनवरी 2024 दिन रविवार यानी आज रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस व्रत को रखते हैं उन्हें माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

साथ ही जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में इससे जुड़ी कुछ बातों को अवश्य जान लेना चाहिए।

पौष पुत्रदा एकादशी 2024 तिथि, पूजा और पारण समय

एकादशी तिथि का प्रारंभ - 20 जनवरी 2024 शाम 07:26 बजे से

एकादशी तिथि का समापन - 21 जनवरी 2024 को शाम 07:26 बजे

एकादशी व्रत पारण का समय- 22 जनवरी दिन सोमवार सुबह 07:14 बजे से सुबह 09:21 बजे तक।

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा नियम

एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद इस व्रत का पारण पूरा किया जाता है, जब तक द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त न हो जाए, पारण द्वादशी तिथि के भीतर ही किया जाना चाहिए। द्वादशी के दिन पारण को नजरअंदाज करना अपराध करने के समान है। हरि वासर पारण करने का समय नहीं है। व्रत तोड़ने के लिए हरि वासर के बाद तक इंतजार करने की प्रथा है।

द्वादशी तिथि का पहला दिन और चौथा घंटा हरि वासर है। व्रत तोड़ने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है, लेकिन किसी वजह से आप सुबह व्रत खोलने में असमर्थ हैं, तो मध्याह्न के बाद व्रत खोला जा सकता है।

भगवान विष्णु पूजा मंत्र

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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