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Pausha Putrada Ekadashi 2024: पौष पुत्रदा एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होगी मनचाही मुराद

Pausha Putrada Ekadashi 2024 इस वर्ष 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है। इस दिन साधक एकादशी व्रत रख भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत करने से व्रती को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 15 Jan 2024 12:21 PM (IST)
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Pausha Putrada Ekadashi 2024: पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pausha Putrada Ekadashi 2024: हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस वर्ष 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन साधक एकादशी व्रत रख भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

निःसंतान और नवविवाहित स्त्रियां पुत्र प्राप्ति हेतु पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करती हैं। शास्त्रों में निहित है कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत करने से व्रती को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो पौष पुत्रदा एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ये व्रत कथा जरूर पढ़ें।  

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व्रत कथा

द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण से पौष पुत्रदा एकादशी की कथा जाने की इच्छा जताई। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-एकादशी व्रत का अति विशेष महत्व है। इस व्रत की कथा का श्रवण करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। साथ ही समस्त प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। हे धर्मराज ! भद्रावती नामक शहर में राजा सुकेतुमान राज करता था। वह बेहद दानवीर और कुशल शासक था। सुकेतुमान के व्यवहार से प्रजा हमेशा खुश रहती थी।

हालांकि, सुकेतुमान स्वयं चिंतित रहता था। राजा सुकेतुमान को कोई संतान नहीं थी। यह सोच राजा एक दिन वन की ओर प्रस्थान कर गए। वन में भटकते-भटकते राजा एक ऋषि के पास जा पहुंचे। उन्होंने ऋषि को शिष्टाचार पूर्वक प्रणाम किया। उस समय ऋषि ने राजा के दुखी मन को पढ़ लिया।

उन्होंने कहा-हे राजन! आप व्यथित प्रतीत (परेशान) हो रहे हैं। क्या कारण है कि आप नरेश होकर भी चिंतित हैं। तब राजा सुकेतुमान ने कहा- भगवान नारायण की कृपा से सबकुछ है,  लेकिन मेरी कोई संतान नहीं है। अगर पुत्र ना रहा, तो मेरा पिंडदान कौन करेगा ? कौन पूर्वजों का तर्पण करेगा ?

ऋषि बोले- हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा करें। इस व्रत के पुण्य प्रताप से आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होगी। ऋषि के वचनानुसार, राजा और उनकी धर्मपत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। कालांतर में राजा सुकेतुमान को पुत्र रत्न की प्राप्त हुई। इससे भद्रावती नगर में खुशियों की लहर दौड़ गई।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।