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Pavanputra Hanuman Puja: आज के दिन करें पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ, दूर होंगे जीवन के सभी विकार

Pavanputra Hanuman Puja जो जातक जीवन की समस्याओं से परेशान हैं। उन्हें शनिवार या फिर किसी भी मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमान की पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा के साथ करनी चाहिए। साथ ही हनुमान जी को सिंदूर और लड्डू का भोग लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त शनिवार या फिर रोजाना पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 23 Dec 2023 08:52 AM (IST)
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Pavanputra Hanuman Puja: आज के दिन करें पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Panchmukhi Hanuman Kavach Ka Path: रामभक्त हनुमान जी को कलयुग का जाग्रत देवता माना गया है। ऐसी मान्यता है कि राम जी के साथ भगवान हनुमान की पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। ऐसे में जो जातक जीवन की समस्याओं से परेशान हैं। उन्हें शनिवार या फिर किसी भी मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमान (Pavanputra Hanuman) की पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा के साथ करनी चाहिए।

साथ ही हनुमान जी को सिंदूर और लड्डू का भोग लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त शनिवार या फिर रोजाना पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।।पंचमुखी हनुमत कवच ।।

श्री गरुड उवाच -

अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर।

यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम्।।

महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्|

बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।।

पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्।

दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्।।

अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।

अत्युग्रतेजोवपुषं भीषणं भयनाशनम्।।

पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्।

सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।।

उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्।

पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।।

ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।

येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम्।।

जघान शरणं तत्स्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।

ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।।

खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम्।

मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुम्।।

भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्।

एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।।

प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्।

दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्।।

सर्वाश्‍चर्यमयं देवं हनुमद्विश्‍वतो मुखम्।

पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं।।

शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्।

पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं

पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।।

मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।

शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर।।

ॐ हरिमर्कट मर्कट मन्त्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले|

यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता।।

बजरंग बली की जय, वीर हनुमान की जय, संकटमोचन हनुमान जी की जय!!!

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