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Pitru Paksha 2024: आखिर गया में क्यों किया जाता है पिंडदान? प्रभु श्रीराम से भी जुड़ा है यह दिव्य स्थान

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत खास माना जाता है। यह 16 दिनों तक चलता है और लोग इस दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कई प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। इस दौरान (Pitru Paksha 2024) पितृ तर्पण और पिंड दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही परिवार में खुशहाली आती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 21 Sep 2024 01:43 PM (IST)
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significance OF Pind Daan: क्यों होता है गया में पिंडदान?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्राद्ध पक्ष का समय बहुत ही अहम माना जाता है। यह पूरी तरह से पितरों को अर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान (Pitru paksh 2024) गया में पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। पिंडदान के लिए बिहार के गया शहर का महत्व क्या है? इसके बारे में आपने कभी सोचा है कि क्यों गया में किया गया पिंडदान इतना महत्वपूर्ण माना जाता है? वहीं, इस पवित्र परंपरा से एक पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है, तो आइए इस खास अनुष्ठान के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो इस प्रकार है।

क्यों होता है गया में पिंडदान? (Kyon Gaya Me Hota Hai Pind Daan)

पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नाम का एक राक्षस था, जिसने ब्रह्मा जी की तपस्या करके यह वरदान प्राप्त कर लिया कि, उसे देखने मात्र से लोग पवित्र हो जाते थे और उनको स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी। उसकी इस शक्ति पृथ्वी का संतुलन बिगड़ गया था, जिसके बाद देवताओं ने परेशान होकर विष्णु जी से मदद मांगी, तब श्री हरि ने गयासुर से कहा कि, वो अपने शरीर को यज्ञ के लिए समर्पित करे। गयासुर ने विष्णु भगवान के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद विष्णु भगवान ने गयासुर (Devine Connection Pind Daan In Gaya Pitru Paksha 2024) के शरीर पर यज्ञ किया।

यज्ञ समाप्त होने के बाद विष्णु जी ने गयासुर को मोक्ष प्रदान करने का वचन दिया और उसे यह वरदान भी प्रदान दिया कि उसकी देह जहां तक फैलेगी, वह स्थान पूर्ण रूप से पवित्र हो जाएगा, और जो भी व्यक्ति उस स्थान पर अपने पितरों का पिंडदान (Pind Daan In Gaya) करेगा, उसके पूर्वज जन्म-मरण के बंधन से सदैव के लिए मुक्त हो जाएंगे। साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। कहा जाता है कि तभी से इस स्थान का नाम गया पड़ गया है।

भगवान राम ने भी यहां किया था पिंडदान (Significance OF Pind Daan)

श्री हरि विष्णु ने यह वरदान दिया था की कि जो कोई भी अपने जीवनकाल के दौरान सच्ची श्रद्धा के साथ गया में पिंडदान करेगा, वह अपने मृत पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम ने फल्गु नदी के तट पर अपने पिता के लिए पिंडदान (Pitru Paksha 2024 Pind Daan Significance) किया था। तब से, गया वह पवित्र स्थान बन गया जहां लोग अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।