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Pitru Paksha 2023: अकाल मृत्यु पर गया में क्यों किया जाता है पिंडदान, जानिए क्या कहता है गरुड़ पुराण

Pitru Paksha 2023 माना जाता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म तर्पण और पिंडदान आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष के दौरान कई तरह के नियम बताए गए हैं जिनमें एक है गया में पिंडदान करना। आइए जानते हैं कि अकाल मृत्यु के बाद गया में पिंडदान करना क्यों जरूरी है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 27 Sep 2023 12:38 PM (IST)
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Pitru Paksha 2023: अकाल मृत्यु पर गया में पिंडदान क्यों है अनिवार्य।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Garuda Purana: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा से होती है और इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि को होता है। इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 14 अक्टूबर 2023 को होगा।

पिंडदान का महत्व

पिंडदान का अर्थ होता है अपने पितरों को भोजन का दान देना। पितृ पक्ष  के दौरान मृत पूर्वजों के लिए पिंडदान किया जाता है। पिंडदान को एक दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने का अनुष्ठान माना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि पिंडदान के द्वारा ही हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। पिंडदान के समय मृतक के लिए जौ या चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकृति वाले पिंड बनाए जाते हैं। इसलिए इसे पिंडदान कहा जाता है।

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इसलिए गया में किया जाता है पिंडदान

अकाल मृत्यु का अर्थ है अचानक या दुर्घटनावश व्यक्ति की मृत्यु हो जाना। गरुण पुराण में माना गया है कि अकाल मृत्यु एक ऐसी स्थिति है जब शरीर तो नष्ट हो जाता है, लेकिन आत्मा मृत्युलोक में ही भटकती रहती है। ऐसे में आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान किया जाना जरूरी है। वहीं, बिहार में स्थित गया को पितरों की मुक्ति के लिए शीर्ष तीर्थ स्थल माना गया है। ऐसे में गया में मृत व्यक्ति का पिंडदान करने से उस व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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