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Pitru Paksha 2023: पढ़िए पितृ पक्ष से जुड़ी ये कहानियां, जो हमें बताती हैं इसका महत्व

Pitru Paksha Stories प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है जिसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि को होता है। इस वर्ष पितृ पक्ष की अवधि 29 सितंबर 2023 से 14 अक्टूबर 2023 की रहेगी। पितृ पक्ष से जुड़ी कई प्रचलित कहानियां मिलती हैं जो हमें पितृ पक्ष का महत्व समझाती हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसी की कहानियां।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Thu, 28 Sep 2023 12:29 PM (IST)
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Pitru Paksha Stories पढ़िए पितृ पक्ष से जुड़ी कहानियां।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Pitru Paksha Importance: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह भी माना गया है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज हमसे मिलने के लिए मृत्युलोक पर आते हैं। आज हम आपको पितृ पक्ष की कुछ ऐसी कहानियां बताने जा रहे हैं जिसका उद्देश्य लोगों को पितृ पक्ष के महत्व के बारे में बताना है।

पितृ पक्ष की कथा

एक बार एक छोटा लड़का जिसका नाम राहुल था अपने दादा-दादी के साथ रहता था। उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे। राहुल के दादा-दादी को उससे बहुत लगाव था। राहुल भी बहुत अपने दादा-दादी से बहुत प्रेम करता था। एक बार जब पितृ पक्ष आए तो राहुल ने दादा-दादी के साथ मिलकर अपने माता-पिता का श्राद्ध किया। श्राद्ध के बाद, राहुल ने अपने दादा-दादी से पूछा कि पितृ पक्ष क्यों मनाया जाता है।

इस पर उसके दादा ने जबाव दिया कि इस पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब हम अपने मृत पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। साथ ही हम पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उन्हें भोजन, पानी, और अन्य चीजें अर्पित करते हैं। राहुल ने अपने दादा की बात सुनकर यह महसूस किया कि पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण पर्व है और ये हमें अपने पूर्वजों को कभी न भूलने की शिक्षा देता है।

पितृ पक्ष की अन्य कथा

एक बार एक लड़की रीमा की लड़की थी जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी। एक दिन रीमा मंदिर गई, जहां उसने एक वृद्ध आदमी को रोते हुए देखा। जब रिया ने उस बुजुर्ग व्यक्ति से रोने का कारण पूछा तो उस व्यक्ति ने बताया कि वह अपने बेटे को याद करके रो रहा है। उसका बेटा बहुत छोटा था जब वह मृत्यु को प्राप्त हो गया।

रीमा ने उस वृद्ध आदमी को पितृ पक्ष के बारे में भी बताया और उसे सांत्वना देते हुए कहा कि तुम्हारा बेटा अब स्वर्ग में है और वह खुश है। बुजुर्ग आदमी ने रीमा को धन्यवाद दिया। रीमा ने पितृ पक्ष के दौरान उस बुजुर्ग आदमी के बेटे के लिए श्राद्ध भी किया। साथ ही उसने वृद्ध व्यक्ति के बेटे की आत्मा को शांति मिलने की कामना की।

इसलिए जरूरी है पितृ पक्ष

एक बार एक राघव नाम का लड़का जो बहुत ही मेहनती था। वह हमेशा अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करता था। एक दिन, राघव के सपने में एक बुजुर्ग आदमी आया जो उससे कह रहा था कि वह उसका पूर्वज है। वृद्ध व्यक्ति ने सपने में राघव से यह भी कहा कि वह उसकी कड़ी मेहनत से बहुत ही प्रसन्न है। उस बुजुर्ग आदमी ने राघव को सलाह दी कि पितृ पक्ष के दौरान उसे अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए।

राघव ने ऐसा ही किया और पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म किया। पितृ पक्ष के बाद, राघव का जीवन में बहुत ही सकारात्मक बदलाव आए। वह पहले से भी अधिक मेहनती और अपने लक्ष्य के प्रति अधिक समर्पित हो गया। जिससे वह अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सफल हो गया। तब राघव को समझ आया कि पितृ पक्ष एक ऐसी अवधि है जिस दौरान हम अपने पूर्वजों की आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सफल बन सकते हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'