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Pitru Paksha 2024: जल्द होगा धरती पर पितरों का आगमन, इन कार्यों से पितृ सुख-समृद्धि का देंगे आशीर्वाद

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को लेकर यह मान्यता है कि इस 15 दिन की अवधि में पितृ धरती पर आते हैं। ऐसे में पितरों को प्रसन्न करने से उद्देश्य से कई तरह के कर्म किए जाते है जैसे- तर्पण पिंडदान आदि। इसके विपरीत अगर पितृ पक्ष के नियमों का ध्यान न रखा जाए तो इससे व्यक्ति को पितरों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 28 Aug 2024 11:47 AM (IST)
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Pitru Paksha 2024 इन कार्यों से पितृ सुख-समृद्धि का देंगे आशीर्वाद।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और यह आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर समाप्त होते हैं। इन्हें 'श्राद्ध' भी कहा जाता है और इस अवधि को पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम माना गया है। इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर 2024 से 02 अक्टूबर तक रहने वाला है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) के दौरान किस प्रकार पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।  

इस तरह करें पीपल की पूजा

पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना सबसे उत्तम उपाय माना जाता है, क्योंकि इस वृक्ष में पितरों का भी वास माना गया है। ऐसे में  सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें। इसके बाद पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें। साथ ही वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसमें काले तिल डालें और छाया दान करें और पितरों का स्मरण करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिजनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

करें ये उपाय (Pitru Paksha Upay)

पितृ दोष से मुक्ति के लिए जल में काले तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, जिससे पितृ दोष लगने का खतरा नहीं रहता। इसी के साथ पितृ पक्ष के दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए सफेद रंग की चीजों जैसे - सफेद मिठाई, दही आदि का दान करना चाहिए।

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रखें इन बातों का ध्यान (Shradh paksha 2024 Niyam)

पितृ पक्ष के दौरान कुछ नियमों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आपको इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त न हों। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष की अवधि में नए कपड़े, वाहन, जमीन आदि नहीं खरीदना चाहिए। इसी के साथ शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि करने की भी मनाही होती है। पितृ या श्राद्ध पक्ष में व्यक्ति को तामसिक भोजन से भी दूरी बनानी चाहिए। साथ ही इस अवधि में किसी भी तरह का नया बिजनेस शुरू नहीं करना चाहिए, वरना साधक को मनचाहे परिणाम प्राप्त नहीं होते।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।