Move to Jagran APP

Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में न खरीदें ये चीजें, वरना नाराज होंगे पितृ, झेलनी पड़ेगी परेशानी

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व माना गया है। यह अवधि पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म तर्पण और पिंडदान आदि करने के लिए उत्तम मानी गई है। ऐसा माना जाता है कि 15 दिनों की अवधि में पितृ धरती लोक पर आते हैं। पितृ पक्ष के दौरान कई तरह की सावधानियां बरतनी होती हैं वरना भारी नुकसान झेलना पड़ता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 10 Sep 2024 03:59 PM (IST)
Hero Image
Pitru Paksha 2024 पितृ पक्ष में न खरीदें ये चीजें
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है, ऐसे में इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 से हो रही है। इन्हें 'श्राद्ध' (Shradh Paksha 2024) भी कहा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष के दौरान कौन-सी चीजें नहीं खरीदनी चाहिए, वरना आपको पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

बढ़ सकती हैं समस्याएं

पितृपक्ष के दौरान भूल से भी लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में लोहे का सामान खरीदने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है। जिस कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भूल से भी न खरीदें ये चीजें

पितृपक्ष में नए कपड़े या गहने आदि खरीदने के भी मनाही होती है। ऐसा करना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। यह आपके पितरों की नाराजगी का कारण बन सकता है। इसी के साथ नया वाहन या प्रॉपर्टी खरीदना भी पितृपक्ष के दौरान वर्जित माना जाता है।

यह भी पढ़ें - Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान के बाद इन नियमों का करें पालन, तभी मिलेगा उसका फल!

इन चीजों की भी है मनाही

ऐसा माना गया है कि पितृपक्ष के दौरान सरसों का तेल, झाड़ू और नमक खरीदने से व्यक्ति को त्रिदोष लग सकता है। जिस कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आपके ये सभी चीजें पितृपक्ष से पहले ही खरीद कर रख लेनी चाहिए।

इन नियमों का जरूर रखें ध्यान

पितृपक्ष के दौरान कुछ मांस-मदिरा से दूरी बनानी चाहिए। इस अवधि में लहसुन-प्याज रहित सात्विक भोजन ही खाएं। साथ ही पितृपक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसी के साथ अपने आस-पास का माहौल भी सात्विक रखने का प्रयास करें।

यह भी पढ़ें - Pind Daan in Gaya: गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।