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Pitru Paksha 2024: पहले दिन से लेकर अमावस्या तक, इन तिथियों पर करें ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का श्राद्ध

सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Shradh Rituals) को एक महत्वपूर्ण अवधि के रूप में देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान हमारे पितृ पृथ्वीलोक पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में इस दौरान पितरों के निमित पिंडदान और श्राद्धकर्म आदि किए जाते हैं ताकि वह तृप्त हो सकें। ऐसे चलिए जानते हैं कि कौन-सी तिथि पर किसका श्राद्ध करने के लिए उत्तम मानी गई है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 19 Sep 2024 11:11 AM (IST)
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Pitru Paksha 2024: प्रथम से लेकर अमावस्या तक, कब किया जाएगा किसका श्राद्ध?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, वहीं इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर माना जाता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत मंगलवार, 17 सितंबर 2024 से हुई थी, जिसका समापन बुधवार, 02 अक्टूबर को होगा।  शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि जिसकी मृत्यु जिस तिथि पर होती है, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध किया जाता है। लेकिन यदि आप अपने पितरों की तिथि भूल गए हैं, या किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर सके, तो ऐसे में आप इस तिथि पर श्राद्ध कर सकते हैं।

श्राद्ध की तिथि

  • प्रतिपदा तिथि - इस तिथि पर नाना-नानी का श्राद्ध किया जाता गया है। ऐसे में यदि किसी को अपने नाना-नानी की तिथि याद नहीं है, तो श्राद्ध पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर उनका श्राद्ध किया जा सकता है।
  • पंचमी तिथि - जिन भी लोगों की मृत्यु विवाह होने से पहले हो जाती है, उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है।

  • नवमी तिथि - पितृ पक्ष की नवमी तिथि उन महिलाओं के श्राद्ध के लिए उत्तम मानी गई है, जिनका देहांत पति के रहते हो जाता है, अर्थात जिनकी मृत्यु विवाहित रूप में होती है। इसी के साथ यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है, इसलिए इसे मातृ-नवमी भी कहा जाता है। ऐसे में नवमी तिथि पर कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध किया जा सकता है।
  • एकादशी और द्वादशी तिथि - एकादशी और द्वादशी तिथि पर उन सभी लोगों का श्राद्ध किया जा सकता है, जिन्होंने संन्यास धारण किया हो।
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  • चतुर्दशी और त्रयोदशी तिथि - शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु शस्त्र, आत्महत्या, विष या फिर किसी दुर्घटना के कारण हुई है। अर्थात जिस भी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो, चतुर्दशी पर उनका श्राद्ध किया जाता है । वहीं बच्चों श्राद्ध के लिए त्रयोदशी तिथि उत्तम मानी गई है।
  • अमावस्या तिथि - आश्विन माह कि अमावस्या तिथि पर पितृ पक्ष की समाप्ति होती है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप किसी कारणवश पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं, तो ऐसी स्थिति में सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है। अर्थात सभी ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का श्राद्ध इस तिथि पर किया जाता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।