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Pitru Paksha के 16 दिनों में रखें इन बातों का खास ख्याल, अनजाने में की गई गलतियां पड़ सकती हैं भारी

पितृ पक्ष को बेहद महत्वपूर्ण समय माना गया है जब लोग अपने पूर्वजों की अत्यधिक श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है जो लोग पितृ दोष से परेशान हैं उनके लिए भी यह समय बहुत खास होता है क्योंकि इस दौरान पितरों का तर्पण करके इस दोष से राहत मिल जाती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 19 Sep 2024 09:06 AM (IST)
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Pitru Paksha: पितृ पक्ष के दूसरे दिन जान लें ये बातें ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 18 सितंबर 2024 से शुरू हो चुका है। पितृ पक्ष के दिनों को सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस समय पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और 16 दिनों तक यहीं रहते हैं और सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ लोक में वापस चले जाते हैं। बता दें, श्राद्ध पक्ष का समापन 2 अक्टूबर, 2024 को होगा, तो आइए पितृ पक्ष के दूसरे दिन (Pitru Paksha 2024 Second Day) कुछ महत्वपूर्ण बातों को जान लेते हैं, जो इस प्रकार हैं -

पितृ पक्ष के दूसरे दिन जान लें ये बातें (Pitru Paksha 2024 Ke Niyam)

  • 16 दिनों की अवधि के दौरान कोई भी तामसिक भोजन न करें।
  • इन दिनों में ब्रह्मचर्य बनाए रखें, क्योंकि पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और वे अपने घर पर भी जाते हैं।
  • इस दौरान नए कपड़े, जूते और मेकअप का सामान, सोना-चांदी खरीदना पूर्ण रूप से वर्जित है।
  • इस अवधि में गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
  • इस दौरान शराब और जुआ से भी दूर रहना चाहिए।
  • आभूषण खरीदने से बचना चाहिए।
  • बाल, नाखून और शेविंग करने से भी बचना चाहिए।
  • इस समय रोका समारोह, सगाई समारोह और विवाह जैसे किसी भी शुभ कार्यक्रम का आयोजन अशुभ माना गया है।
  • इसमें नया व्यवसाय व नई नौकरी शुरू करने से बचना चाहिए।

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पितृ पक्ष का महत्व (Pitru Paksha 2024 Significance)

श्राद्ध पक्ष पितरों से जुड़े अनुष्ठान करने का एक खास समय है, जो पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि ये अनुष्ठान दिवंगत लोगों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं और उन्हें सांसारिक मोह-माया से मुक्ति दिलाने में मदद करते हैं। परंपरागत रूप से, सबसे बड़ा बेटा या परिवार का कोई अन्य पुरुष सदस्य इन अनुष्ठान को पूर्ण करते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पितरों देव मंत्र

1. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

2. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।