Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दूसरे दिन वृद्धि योग समेत बन रहे हैं ये शुभ संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितरों के अप्रसन्न होने पर जातक को जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष पितृ दोष से निवारण हेतु पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने की सलाह देते हैं। बिहार के गया में पितरों (Pitru Paksha Second day 2024) का तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 18 Sep 2024 05:11 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष आश्विन माह में पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस क्रम में पितृ पक्ष के दूसरे दिन यानी 19 सितंबर को पितरों को तर्पण एवं पिंडदान किया जाएगा। इसके पश्चात, ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा दिया जाएगा। धार्मिक मत है कि पितरों की पूजा करने से व्यक्ति को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। पितरों की कृपा से सभी बिगड़े कार्य संवर जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो पितृ पक्ष के दूसरे दिन कई शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) के दूसरे दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 20 सितंबर को देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है। इसके बाद तृतीया तिथि शुरू होगी। द्वितीया तिथि पर उत्तर भाद्रपद और रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है।वृद्धि योग
पितृ पक्ष के दूसरे दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग का समापन संध्याकाल 07 बजकर 19 मिनट पर होगा। इसके बाद ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 08 बजकर 04 मिनट से हो रहा है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन 20 सितंबर को सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर तैतिल और गर करण के योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दौरान करें इन मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 08 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 21 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 07 बजकर 12 मिनट परचंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 14 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 21 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 06 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 21 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तकयह भी पढ़ें: पितृ दोष से मुक्ति दिलाएगा यह कवच, ऐसे प्राप्त करें अपने पूर्वजों का आशीर्वाद
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।