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Pitru Paksha 2024: तरक्की में बाधा बन सकता है पितृ दोष, जरूर जान लें मुक्ति के उपाय

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) एक महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है। पितरों के प्रसन्न होने पर जीवन में सुख-समृद्धि आती है लेकिन इसके विपरीत पितरों के नाराज होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं घेर लेती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि पितृ दोष होने पर व्यक्ति को क्या संकेत मिलते हैं और इससे किस प्रकार मुक्ति पाई जा सकती है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 18 Sep 2024 10:51 AM (IST)
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Pitru Paksha 2024: पितृ दोष से मुक्ति के उपाय।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत मानी जाती है, वहीं इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर होता है। ऐसे में इस साल पितृपक्ष की शुरुआत (Shradh Paksha 2024) मंगलवार, 17 सितंबर 2024 से हो चुकी है, जिसका समापन बुधवार, 02 अक्टूबर को होगा। पितृपक्ष के पहले श्राद्ध के दिन यानी 18 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण का साया रहने वाला है। वहीं पितृ पक्ष की समाप्ति पर यानी 02 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।

मिलते हैं ये संकेत

यदि आपके घर में पितृ दोष लग गया है तो व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती। पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति की तरक्की भी रुक जाती है। साथ ही कारोबार में भी नुकसान होने लगता है। इतना ही नहीं एक के बाद एक दुर्घटनाएं होने लगती हैं। यह सभी संकेत पितृ दोष होने की तरफ इशारा करते हैं।

ऐसे पाएं मुक्ति

पितृदोष से मुक्ति के लिए पितृपक्ष की अवधि को सबसे उत्तम माना गया है। ऐसे में आपको पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में उनका तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध कर्म जरूर करने चाहिए। इसके साथ ही पितरों के निमित्त भोजन और जल निकालें व पितरों का आह्वान कर, उन्हें ये सभी सामग्री अर्पित कर दें। इससे पितरों की नाराजगी दूर हो सकती है।

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पितृ होंगे प्रसन्न

पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और सात बार परिक्रमा करें। साथ ही वृक्ष के नीचे काले तिल डालकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पितरों का स्मरण करें। इस उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं।

इस दिशा में जलाएं दीपक

पितृपक्ष के दौरान आपको पितरों के नाम का दीया जरूर जलाना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में पितृपक्ष में रोजाना इस दिशा में पितरों के नाम का दीपक जरूर जलाएं। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति के लिए जल में काले तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर अर्घ्य देना चाहिए।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।