Pongal 2023: 4 दिनों तक मनाया जाता है पोंगल पर्व, जानें किस दिन होगी किसकी पूजा
Pongal 2023 पोंगल का पर्व दक्षिण भारत में धूमधाम ले मनाया जाता है। इस दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। चार दिनों तक चलने वाली इस पर्व में रोजाना विभिन्न भगवानों की पूजा की जाती है।
By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghUpdated: Tue, 10 Jan 2023 11:28 AM (IST)
नई दिल्ली, Pongal 2023: सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति, लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। वहीं, दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने पर पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पोंगल मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में मनाया जाता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार, इस दिन से नववर्ष की शुरुआत होती है। यह पर्व एक दिन नहीं बल्कि पूरे चार दिनों तक मनाते हैं और इन चार दिनों में अलग-अलग भगवान की पूजा की जाती है। पोंगल पर्व को धान की फसल काटने के बाद भगवान को शुक्रिया कहने और अपनी प्रसन्नता प्रकट करते लिए मनाते हैं। जानिए पोंगल पर्व के बारे में।
कब है पोंगल 2023?
तमिल पंचांग के अनुसार, पोंगल का पर्व 15 जनवरी से शुरू हो रहा है।
पोंगल के चार दिन और 4 भगवान की पूजा
पहला दिन- भोगी पोंगलपोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल के नाम से जानते हैं। इस दिन इंद्र देव की पूजा करने का विधान है। अच्छी फसल के लिए इंद्र देव को आभार प्रकट करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। इसके साथ ही पुराने सामान को होली की तरह जलाकर नृत्य करते हैं। इसके साथ ही नववर्ष की शुरुआत हो जाती है।
दूसरा दिन- थाई पोंगल
पोंगल के दूसरे दिन को थाई पोंगल के नाम से जानते हैं। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। इस दिन सूर्यदेव को अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करते हुए विशेष तरह की खीर बनाई जाती है। इसी कारण इसे पोंगल खीर कहते हैं।तीसरा दिन- मात्तु पोंगल
पोंगल के तीसरे दिन को माट्टु पोंगल के नाम से जानते हैं। इस दिन कृषि संबंधी पशि जैसे बैल, सांड, गाय आदि की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस दिन बैलों और गायों को सजाया जाता है और उनकी सींगों को रंगा जाता है। आज के दिन ही जलीकट्टू (बैलों की दौड़) का आयोजन किया जाता है।चौथा दिन- कन्या पोंगल पोंगल के चौथे और आखिरी दिन को कन्या पोंगल के नाम से जानते हैं। इसे तिरुवल्लूर के नाम से भी जानते हैं। इस दिन घर की साफ-सफाई के साथ फूलों से सजाया है। मुख्य द्वार में रंगोली बनाने के साथ मुख्य द्वार में नारियल और आम के पत्तों से बने तोरण को लगाया जाता है। इस दिन खुले में गन्ने को रखकर दूध, चावल, चीनी और घी से विभिन्न तरह के पकवान बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है।
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