Move to Jagran APP

Pradosh Vrat 2023: भाद्रपद मास का दूसरा प्रदोष व्रत कब? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2023 प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर रहती हैं। भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत 27 सितंबर के दिन रखा जाएगा।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Tue, 19 Sep 2023 02:26 PM (IST)
Hero Image
Pradosh Vrat 2023: इस दिन रखा जाएगा भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें कि प्रदोष व्रत प्रत्येक मास में दो बार रखा जाता है। एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय। बता दें कि भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व। आइए जानते हैं, कब रखा जाएगा भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत?

प्रदोष व्रत 2023 तिथि (Pradosh Vrat 2023 Date)

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 सितंबर सुबह 01 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और 27 सितंबर रात्रि 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा। बुधवार का दिन होने के कारण इस दिन को बुध प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। पंचांग में बताया गया है कि इस दिन प्रदोष काल शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात्रि 08 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।

बुध प्रदोष व्रत उपाय (Pradosh Vrat 2023 Upay)

  • ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि बुध प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को स्नान-दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद गंगाजल, दूध इत्यादि से भगवान शिव का अभिषेक करें और बेलपत्र चंदन अक्षत इत्यादि चढ़ाएं। ऐसा करने से कई प्रकार के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं और साधकों को सुख-समृधि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिवत उपासना करें और इस दिन एक कटोरी में चावल के दो हिस्से बांट लें। एक हिस्सा सूर्यास्त के समय पूजा के दौरान शिवलिंग पर अर्पित करें और दूसरा हिस्सा किसी जरूरतमंद को दान कर दें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है और जो लोग योग्य साथी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें भी सफलता प्राप्त होती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।