Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत पर अमृत सिद्धि योग समेत बन रहे हैं ये 7 शुभ संयोग, प्राप्त होगा हजारों गुना फल
शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र प्रदोष व्रत पर एक साथ 7 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में महादेव की पूजा करने से हजारों गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2023: हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस प्रकार कार्तिक माह में शुक्रवार 24 नवंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र प्रदोष व्रत पर एक साथ 7 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में महादेव की पूजा करने से हजारों गुना अधिक फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं-
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शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर को संध्याकाल 07 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 25 नवंबर को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 24 नवंबर को ही प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
शुभ योग
शुक्र प्रदोष व्रत पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 09 बजकर 05 मिनट तक है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है और अमृत सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 01 मिनट तक है। इन योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
करण
शुक्र प्रदोष व्रत पर बव करण सुबह 08 बजकर 03 मिनट तक है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है, जो शाम 07 बजकर 06 मिनट तक है। बालव करण समाप्त होने के बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष तीनों करण को अति शुभ मानते हैं। इस दिन शिव वास कैलाश पर है। आसान शब्दों में कहें तो प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर रहेंगे। इसके पश्चात नंदी पर विराजमान होंगे। दोनों समय में रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
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