Pradosh Vrat 2023: कब है साल का आखिरी प्रदोष व्रत ? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। पचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर को है। मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव भगवान शिव की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। महादेव की कृपा सदैव बनी रहती है।
धर्म डेस्क,नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है और महादेव की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा की जाती है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
प्रदोष व्रत की तिथि
दैनिक पचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर को है। इस तिथि की शुरूआत 24 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानि 25 दिसंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर तिथि का समापन होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत में साधक शाम 05 बजकर 30 मिनट से लेकर रात्रि 08 बजकर 14 तक पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर नहाने के बाद मंदिर की सफाई करें।
इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
प्रदोष व्रत में शाम को पूजा करने का विधान है, तो ऐसे में संध्या काल में पूजा की शुरूआत करें।
शिवलिंग का शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें।
इसके बाद शिवलिंग पर कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग चढ़ाएं।
भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
प्रदोष व्रत में करें इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
शिवपुराण में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद फलदायी बताया गया है। धार्मिक मत है कि इस मंत्र का जाप करने से साधक को जीवन के सभी तरह दुखों से छुटकारा मिलता है।
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Author- Kaushik Sharma
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