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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें बेलपत्र के पेड़ की विशेष पूजा, बरसेगी भगवान शिव की असीम कृपा

फाल्गुन माह में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 22 मार्च 2024 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग शिव जी की पूर्ण कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें इस दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह उनको अति प्रिय है। तो चलिए यहां बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 15 Mar 2024 10:14 AM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवों के देव की पूजा करने से जीवन के सभी दुखों का अंत होता है। फाल्गुन माह में यह व्रत 22 मार्च, 2024 को रखा जाएगा। वहीं, जो लोग शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, वे इस दिन उनके साथ बेलपत्र के पेड़ की पूजा अवश्य करें, क्योंकि यह उनको अति प्रिय है। तो आइए यहां बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि विस्तार से जानते हैं -

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बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
  • अपने घर और मंदिर को साफ करें।
  • भगवान शिव और देवी पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • शिव मंत्रों का उच्चारण जरूर करें।
  • घर के मंदिर में शिव परिवार की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • इसके बाद सुबह के समय ही बेलपत्र के पेड़ की कच्चा सूत लेकर 7 बार परिक्रमा करें और फिर उसे बांध दें।
  • परिक्रमा के बाद उसपर रोली और चंदन का तिलक लगाएं।
  • बेल के पेड़ पर दूध, बताशे, शहद आदि अर्पित करें।
  • भोलेनाथ के पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।
  • पूजा के बाद भावपूर्ण शिव जी की आरती करें।
  • अंत में घर के सदस्यों और अन्य लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

भोलेनाथ का नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

भगवान शंकर नामावली मंत्र

  • ''श्री शिवाय नम:
  • श्री शंकराय नम:
  • श्री महेश्वराय नम:
  • श्री सांबसदाशिवाय नम:
  • श्री रुद्राय नम:
  • ओम पार्वतीपतये नम:
  • ओम नमो नीलकण्ठाय नम:''
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