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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें? यहां जानें

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस बार साल 2024 का दूसरा प्रदोष व्रत 23 जनवरी को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sun, 21 Jan 2024 12:03 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें? यहां जानें

धर्म डेक्स, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को उत्तम माना गया है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। साल 2024 का दूसरा प्रदोष व्रत 23 जनवरी को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। प्रदोष व्रत के दिन कुछ कार्यों को नहीं करना चाहिए, जिनको करने से भगवान भोलेनाथ नाराज होते हैं और जीवन में बुरे परिणाम मिलते हैं। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें?

प्रदोष व्रत के दिन क्या करें

प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ माना गया है। शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, फूलों की माला और भांग अर्पित करें। पूजा के दौरान आरती और शिव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन गरीब लोगों को श्रद्धा अनुसार गर्म कपड़ों और धन का दान करें। इस दिन भजन कीर्तन करना फलदायी होता है।

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प्रदोष व्रत के दिन क्या न करें

प्रदोष व्रत के दिन बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान न करें और किसी से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। किसी के प्रति गलत न सोचें। तामसिक भोजन का सेवन और किसी भी तरह का कोई नशा न करें। मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत करने वाले साधक को काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। पूजा के दौरान भगवान भोलेनाथ को नारियल का जल, कुमकुम और तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए।

प्रदेश व्रत 2024 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 23 जनवरी को संध्याकाल 08 बजकर 39 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार 23 जनवरी को प्रदोष व्रत है।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।