Pradosh Vrat 2024 February Date: फरवरी माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब है? नोट करें पूजा टाइम
माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस बार माघ माह में यह व्रत 21 फरवरी दिन बुधवार को है। इस तिथि पर शिव भक्तों द्वारा पूजा और व्रत किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से साधक को महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख शांति का आगमन होता है।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Wed, 14 Feb 2024 02:19 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Pradosh Vrat February 2024 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है। हर महीने में दो दिन यह व्रत रखा जाता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस बार माघ माह में यह व्रत 21 फरवरी, दिन बुधवार को है। इस तिथि पर शिव भक्तों द्वारा पूजा और व्रत किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से साधक को महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख शांति का आगमन होता है। आइए हम आपको बताएंगे कि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री और पूजा विधि के बारे में।
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा संध्याकाल में की जाती है। पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 22 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 21 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 21 फरवरी को है। इस दिन पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 15 मिनट से लेकर 08 बजकर 47 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत पूजा सामग्री
- भगवान शिव की प्रतिमा
- फल
- फूल
- मिठाई
- सफेद चंदन
- नशा
- बेल पत्र
- अक्षत
- कलावा
- दीपक
- कपूर
- धूपबत्ती
- शहद
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान के बाद मंदिर की सफाई करें।
- मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- इसके बाद भगवान भोलेनाथ का सच्चे मन से ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा शाम को करने का विधान है। तो ऐसे में संध्या काल में पूजा की शुरूआत करें।
- शिवलिंग का विधिपूर्वक शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें।
- अब देशी घी का दीपक जलाएं।
- इसके पश्चात शिवलिंग पर कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग अर्पित करें।
- अंत में भगवान शिव की आरती करें और भगवान शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करें।
- भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद लोगों में प्रसाद का वितरण करें।