Pradosh Vrat 2024: कब है कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस अवसर पर साधक भक्ति भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष उपासना की जाती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 16 Oct 2024 11:55 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में त्रयोदशी तिथि देवों के महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मनोवांछित फल पाने हेतु प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Significance) का फल जातक को दिन अनुसार प्राप्त होता है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत करने से धन संबधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही साधक पर शिव शक्ति की कृपा बरसती है। इसके लिए साधक भक्ति भाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, कार्तिक माह के पहले प्रदोष व्रत की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी। इसके अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 29 अक्टूबर को कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत मनाया जायेगा। इस दिन प्रदोष काल 5 बजकर 38 मिनट से लेकर शाम 8 बजकर 13 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार समय पर शिव शक्ति की पूजा उपासना कर सकते हैं।
शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के पहले प्रदोष व्रत पर दुर्लभ शिववास का संयोग बन रहा हैं। इस दिन सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक भगवान शिव नंदी पर सवार रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी कार्यों में साधक को सफलता मिलेगी। इसके अलावा प्रदोष व्रत पर इंद्र योग का भी संयोग बन रहा है। साथ ही तैतिल और गर, करण के भी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा उपासना करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 31 मिनट परसूर्यास्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट परचन्द्रोदय- सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर (30 अक्टूबर)चंद्रास्त- शाम 03 बजकर 57 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तकयह भी पढ़ें: प्रदोष व्रत पर जरूर करें इन मंत्रों का जप, जीवन की समस्या का होगा अंत अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।