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Pradosh Vrat 2024: कब है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। अतः प्रदोष व्रत पर साधक भक्ति भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। साथ ही संध्याकाल तक व्रत रखते हैं। संध्या पूजन के बाद फलाहार करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 13 Nov 2024 10:12 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अविवाहित लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करती हैं। वहीं, विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। आइए, मार्गशीर्ष माह के पहले प्रदोष व्रत की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। इसके अगले दिन यानी 29 नवंबर को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 28 नवंबर को मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत मनाया जायेगा। इस दिन प्रदोष काल संध्याकाल 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 40 मिनट तक है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। साधक अपनी सुविधा के अनुसार समय पर शिव शक्ति की पूजा उपासना कर सकते हैं।

शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के पहले प्रदोष व्रत पर दुर्लभ सौभाग्य का संयोग बन रहा हैं। इस दिन सौभाग्य योग शाम 04 बजकर 02 मिनट तक है। इसके बाद शोभन योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही स्वाति नक्षत्र का योग है। इसके अलावा, गर और वणिज के भी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा उपासना करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी। साथ ही शुभ कार्यों में सफलता मिलेगी। 

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 24 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 05 बजकर 29 मिनट पर

चंद्रास्त- दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 06 मिनट से 06 बजे तक...

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 48 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।