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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को लगाएं ये भोग, गृह क्लेश की समस्या होगी दूर

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। हर महीने में प्रदोष व्रत 2 होते हैं। इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 22 मार्च को है। इस अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने के बाद उन्हें विशेष चीजों का भोग लगाने से जीवन के संकट दूर होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 18 Mar 2024 09:36 AM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को लगाएं ये भोग, गृह क्लेश की समस्या होगी दूर
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Shiv Bhog: धार्मिक पुराणों में प्रदोष व्रत की बेहद खास महिमा बताई गई है। यह व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है। हर महीने में 2 प्रदोष व्रत होते हैं। इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 22 मार्च को है। इस अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने के बाद उन्हें विशेष चीजों का भोग लगाने से जीवन के संकट दूर होते हैं और खुशी और शांति प्राप्त होती है। चलिए जानते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन महादेव को किन चीजों का भोग लगाना फलदायी होता है।

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भोग में शामिल करें ये चीजें

  • प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने के बाद भगवान शिव को भांग और धतूरा अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का भोग लगाने से बिजनेस में वृद्धि होती है।

  • इसके अलावा भगवान महादेव के भोग में सूजी या आलू का हलवा भी शामिल कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच सदैव शांति बनी रहती है। साथ ही गृह क्लेश की समस्या दूर होती है।

  • भगवान शिव को मखाने की खीर अधिक प्रिय है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ को मखाने की खीर का भोग अवश्य लगाएं।
भोग लगाते समय इस मंत्र का करें जाप

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस मंत्र का अर्थ है कि हे भगवान जो भी मेरे पास है। वो आपका दिया हुआ है। मैं आपको दिया हुआ अर्पित करता हूं। मेरे इस भोग को आप स्वीकार करें।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल में करने का विधान का है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 मार्च, दिन शुक्रवार सुबह 08 बजकर 21 मिनट से होगी और इसका समापन सुबह 06 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 22 मार्च को है।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'