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Pradosh Vrat 2024: आज किया जाएगा अप्रैल का दूसरा रवि प्रदोष व्रत, पूजा के समय जरूर करें शिव जी की आरती

हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है। इस तिथि पर मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना उत्तम माना गया है। ऐसे में आप रवि प्रदोष व्रत के दिन इस प्रकार शिव जी की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए पढ़ते हैं प्रदोष व्रत की पूजा विधि और आरती।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sun, 21 Apr 2024 06:30 AM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि और आरती।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2024 Remedies: माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा।

प्रदोष व्रत पूजा का समय (Pradosh Vrat Shubh muhurat)

चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल को रात्रि 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी। जिसका समापन 22 अप्रैल को रात्रि 01 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में चैत्र माह का दूसरा प्रदोष व्रत 21 अप्रैल, रविवार के दिन किया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 51 से 09 बजकर 02 मिनट तक रहने वाला है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh vrat puja vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद बेल पत्र, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। शिवजी के साथ-साथ पूरे शिव परिवार की पूजा करें। फिर ठीक इसी तरह प्रदोष काल में पुनः स्नान करके शंकर जी की पूजा करें और अपना उपवास खोलें।

शिव जी की आरती (Shiv Ji Aarti Lyrics)

जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

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