Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Pradosh Vrat 2024: अगस्त के आखिर में रखा जाएगा शनि प्रदोष व्रत, इस स्तोत्र से करें शिव जी को प्रसन्न

प्रदोष व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए एक शुभ तिथि माना जाता है। भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा में आप इस खास स्तोत्र का पाठ कर शुभ परिणाम देख सकते हैं। तो चलिए जानते हैं अगस्त के आखिरी प्रदोष व्रत पर आप किस प्रकार शिव जी को प्रसन्न कर सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 30 Aug 2024 11:37 AM (IST)
Hero Image
August Pradosh Vrat 2024 प्रदोष व्रत पर ऐसे बनें भगवान शिव की कृपा के पात्र।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर माह में आने वाली त्रयोदशी पर भगवान शिव के निमित्त प्रदोष व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार, जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में व्याप्त होती है, उस दिन प्रदोष व्रत करने का विधान है। माना जाता है कि यदि इस दिन पूरे विधि-विधान से शिव जी की आराधना की जाए, तो इससे साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आप पूजा के दौरान शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

शनि प्रदोष व्रत (August Pradosh Vrat 2024)

भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि अगस्त के आखिरी में यानी 31 अगस्त 2024 को रात्रि 02 बजकर 25 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं अगर समापन की बात करें, तो यह तिथि 01 सितंबर को प्रातः 03 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत शनिवार, 31 अगस्त को किया जाएगा। चूंकि यह व्रत शनिवार के दिन रखी जाएगा, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत भी कह सकते हैं। इस दौरान शिव जी की पूजा के लिए यह समय शुभ रहने वाला है -

शनि प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त - शाम 06 बजकर 43 मिनट से 08 बजकर 59 मिनट तक

शिव रक्षा स्तोत्र

विनियोग-ॐ अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्यऋषिः,

श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुपछन्दः श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिव रक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः।

चरितम् देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।

अपारम् परमोदारम् चतुर्वर्गस्य साधनम् ।1।

गौरी विनायाकोपेतम् पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।

शिवम् ध्यात्वा दशभुजम् शिवरक्षां पठेन्नरः।2।

गंगाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दु शेखरः।

नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ।3।

घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः ।

जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ।4।

श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।

भुजौ भूभार संहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।5।

हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।

नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्रजिनाम्बरः ।6।

सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः।

उरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ।7।

जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।

चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ।8।

एताम् शिवबलोपेताम् रक्षां यः सुकृती पठेत्।

स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।9।

गृहभूत पिशाचाश्चाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।

दूराद् आशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।10।

अभयम् कर नामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।

भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।11।

इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।

प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत् ।12।

।इति श्री शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम।

यह भी पढ़ें - Pradosh Vrat 2024: अगस्त में तीसरी बार रखा जाएगा प्रदोष व्रत, ऐसे बन सकते हैं शिव जी की कृपा के पात्र

श्री शिव पञ्चकम् स्तोत्र

प्रालेयाचलमिन्दुकुन्दधवलं गोक्षीरफेनप्रभं

भस्माभ्यङ्गमनङ्गदेहदहनज्वालावलीलोचनम् ।

विष्णुब्रह्ममरुद्गणार्चितपदं ऋग्वेदनादोदयं

वन्देऽहं सकलं कलङ्करहितं स्थाणोर्मुखं पश्चिमम् ॥ १॥

गौरं कुङ्कुमपङ्किलं सुतिलकं व्यापाण्डुकण्ठस्थलं

भ्रूविक्षेपकटाक्षवीक्षणलसत्संसक्तकर्णोत्पलम् ।

स्निग्धं बिम्बफलाधरं प्रहसितं नीलालकालङ्कृतं

वन्दे याजुषवेदघोषजनकं वक्त्रं हरस्योत्तरम् ॥ २॥

संवर्ताग्नितटित्प्रतप्तकनकप्रस्पर्द्धितेजोमयं

गम्भीरध्वनि सामवेदजनकं ताम्राधरं सुन्दरम् ।

अर्धेन्दुद्युतिभालपिङ्गलजटाभारप्रबद्धोरगं

वन्दे सिद्धसुरासुरेन्द्रनमितं पूर्वं मुखं शूलिनः ॥ ३॥

कालाभ्रभ्रमराञ्जनद्युतिनिभं व्यावृत्तपिङ्गेक्षणं

कर्णोद्भासितभोगिमस्तकमणि प्रोत्फुल्लदंष्ट्राङ्कुरम् ।

सर्पप्रोतकपालशुक्तिसकलव्याकीर्णसच्छेखरं

वन्दे दक्षिणमीश्वरस्य वदनं चाथर्ववेदोदयम् ॥ ४॥

व्यक्ताव्यक्तनिरूपितं च परमं षट्त्रिंशतत्त्वाधिकं

तस्मादुत्तरतत्वमक्षरमिति ध्येयं सदा योगिभिः ।

ओङ्कारदि समस्तमन्त्रजनकं सूक्ष्मातिसूक्ष्मं

परं वन्दे पञ्चममीश्वरस्य वदनं खव्यापितेजोमयम् ॥ ५॥

एतानि पञ्च वदनानि महेश्वरस्य ये कीर्तयन्ति पुरुषाः सततं प्रदोषे ।

गच्छन्ति ते शिवपुरीं रुचिरैर्विमानैः क्रीडन्ति नन्दनवने सह लोकपालैः ॥

॥ इति शिवपञ्चाननस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

यह भी पढ़ें - Bhadrapad Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को चढ़ाएं ये पुष्प, दूर होंगे जीवन के सभी दुख

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।