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Pradosh Vrat List 2024: साल 2024 में कब-कब है प्रदोष व्रत? यहां देखें पूरी लिस्ट

प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से साधक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है और सदैव भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है। इसके अलावा प्रदोष व्रत करने से साधक की लंबी आयु होती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना शुभ होता है। साल 2024 में आने वाले सभी प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है।

By Jagran News Edited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 25 Dec 2023 10:37 AM (IST)
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Pradosh Vrat List 2024: साल 2024 में कब-कब है प्रदोष व्रत? यहां देखें पूरी लिस्ट
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat List 2024: हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता के मुताबिक, प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से साधक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है और सदैव भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है। इसके अलावा प्रदोष व्रत करने से साधक की लंबी आयु होती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना शुभ होता है। साल 2024 में आने वाले सभी प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। चलिए जानते हैं साल 2024 में कब किस तारीख को प्रदोष व्रत है।

प्रदोष व्रत लिस्ट 2024 

9 जनवरी- भौम प्रदोष व्रत

23 जनवरी- भौम प्रदोष व्रत

7 फरवरी- बुध प्रदोष व्रत

21 फरवरी- बुध प्रदोष व्रत

8 मार्च- शुक्र प्रदोष व्रत

22 मार्च- शुक्र प्रदोष व्रत

6 अप्रैल- शनि प्रदोष व्रत

21 अप्रैल-रवि प्रदोष व्रत

5 मई- रवि प्रदोष व्रत

20 मई- सोम प्रदोष व्रत

4 जून- भौम प्रदोष व्रत

19 जून- बुध प्रदोष व्रत

3 जुलाई- बुध प्रदोष व्रत

18 जुलाई- गुरु प्रदोष व्रत

1 अगस्त-गुरु प्रदोष व्रत

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17 अगस्त- शनि प्रदोष व्रत

31 अगस्त- शनि प्रदोष व्रत

15 सितंबर- रवि प्रदोष व्रत

5 अक्टूबर- भौम प्रदोष व्रत

29 अक्टूबर- भौम प्रदोष व्रत

13 नवंबर- बुध प्रदोष व्रत

28 नवंबर- गुरु प्रदोष व्रत

13 दिसंबर- शुक्र प्रदोष व्रत

28 दिसंबर- शनि प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • अब भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना कर व्रत का संकल्प लें।
  • प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा करने का विधान है।
  • मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
  • अब भगवान शिव की तस्वीर स्थापित करें।
  • इसके बाद भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
  • अब आरती करें और भोग लगाएं।
  • अंत में प्रसाद का वितरण करें।
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Author- Kaushik Sharma

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।