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Pukhraj Lucky Stone: मान-सम्मान में वृद्धि और जीवन में सफलता पाने के लिए, इस विधि से धारण करें पुखराज रत्न

Pukhraj Lucky Stone रत्नशास्त्र में कई ऐसे चमत्कारी रत्नों का वर्णन किया गया है जिन्हें सही रूप से धारण करने से कई प्रकार के दोष और समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं कि कुंडली में गुरु ग्रह को कैसे मजबूत किया जा सकता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Wed, 15 Feb 2023 10:12 AM (IST)
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Pukhraj Lucky Stone: पुखराज धारण करने से पहले जान इसका महत्व और धारण करने की विधि।
नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Pukhraj Lucky Stone Benefits and Vidhi: ज्योतिष में बताया गया है कि कई बार ग्रहों की स्थिति जातक के पक्ष में रहती है, वहीं कुछ समय ऐसे होते हैं जब ग्रहों के दुष्प्रभाव के कारण समय कष्टकारी होने लगता है। इन दोनों में ग्रहों का शुभ या अशुभ होना एक मुख्य कारक है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार ग्रहों की अशुभ स्थिति को दूर करने के लिए व्यक्ति को कुछ खास रत्न धारण करने चाहिए। आज हम बात करेंगे पुखराज रत्न की। जिसे धारण करने से कुछ राशियां ऐसी हैं, जिन्हें इससे विशेष लाभ मिलता है। रत्न शास्त्र के अनुसार पुखराज रत्न का सीधा संबंध ग्रहों के गुरु, बृहस्पति देव से है। साथ ही गुरु ग्रह समृद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि के कारक हैं। आइए जानते हैं पुखराज रत्न के लाभ और इसे धारण करने की सही विधि।

इन लोगों को धारण करना चाहिए पुखराज रत्न (Pukhraj Benefits in Hindi)

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुखराज रत्न को केवल उस राशि के जातक ही धारण करें, जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह उच्च स्थिति में हैं।

  • रत्न शास्त्र के अनुसार मीन और धनु राशि के जातक पुखराज धारण कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु ग्रह इन दोनों राशियों के स्वामी हैं।

  • पुखराज रत्न धारण करने से पहले इस बात का पता लगा लें कि आपकी कुंडली में गुरु नीच स्थिति में ना हो। इससे रत्न का अशुभ प्रभाव पड़ सकता है।

  • साथ ही व्यक्ति को पुखराज धारण करने से पहले ज्योतिष सलाह अवश्य लेनी चाहिए और इस बात का ध्यान रखें कि आप हीरे के साथ पुखराज धारण न करें।

इस विधि से पुखराज रत्न को करें धारण (Pukhraj Ratna Vidhi)

पुखराज धारण करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण विधि का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इसलिए पुखराज खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह सवा सात या सवा आठ रत्ती का ही हो। साथ ही चांदी या सोने की धातु पर जड़वाकर ही इसे धारण करना चाहिए। पुखराज रत्न धारण करने के लिए गुरुवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है और इस रत्न को धारण करने के बाद किसी ब्राह्मण को अन्न, धन या वस्त्र का दान अवश्य करें।

पुखराज रत्न का महत्व (Pukhraj Ratna Importance)

पुखराज रत्न का सीधा संबंध देव गुरु बृहस्पति से है, इसलिए इस रत्न की गणना नवरत्नों में भी की जाती है। रत्न शास्त्र में बताया गया है कि विधिपूर्वक पुखराज रत्न धारण करने से जातक को समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही देव गुरु का आशीर्वाद जातक पर लंबे समय तक बना रहता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।