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Putrada Ekadashi Katha: आज पुत्रदा एकादशी के दिन अवश्य करें व्रत कथा का पाठ

Paush Putrada Ekadashi Katha पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पुत्रदा एकादशी के दिन पुत्र की कामना करते हुए व्रत किया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 24 Jan 2021 01:00 PM (IST)
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Putrada Ekadashi Katha: आज पुत्रदा एकादशी के दिन अवश्य करें व्रत कथा का पाठ
Paush Putrada Ekadashi Katha: पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पुत्रदा एकादशी के दिन पुत्र की कामना करते हुए व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 24 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत और पूजा के दौरान व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं यह कथा।

धार्मिक कथाओं के अनुसार, भद्रावती राज्य में एक राजा था जिसका नाम सुकेतुमान था। उसकी पत्नी थी जिसका नाम शैव्या था। राजा के पास हर सुख था किसी चीज की कमी नहीं थी लेकिन उसके पास कोई संतान नहीं थी। इसकी वजह से राजा और रानी दोनों ही हमेशा उदास और चिंतित रहा करते थे। राजा को यह चिंता भी सताती थी कि उसकी मृत्यु के बाद उसका पिंडदान कौन करेगा। राजा इतना दुखी हो गया कि उसने एक दिन अपने प्राण लेने का मन बना लिया। लेकिन उसे पाप का डर था इसलिए उसने यह विचार त्याग दिया। राजा का मन राजपाठ में नहीं लग रहा था। ऐसे में वो जंगल की ओर चला गया।

राजा को जंगल में कई पक्षी और जानवर दिखाई दिए। इन्हें देख राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। राजा काफी दुखी हो गया और एक तालाब के किनारे बैठ गया। वहां पर कई ऋषि मुनियों का आश्रम बना हुआ था। राजा आश्रम में गया और ऋषि मुनि राजा को देखकर प्रसन्न हुए। ऋषि मुनियों ने कहा कि आप हमें अपनी इच्छा बताएं। राजा ने अपनी परेशानी की वजह ऋषि मुनियों से कही। राजा की चिंता सुनकर मुनि ने उनसे कहा कि उन्हें संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना होगा। राजा ने इस व्रत का पालन किया और द्वादशी को इसका विधि-विधान से पारण किया। इस व्रत के फल स्वरूप रानी ने कुछ दिनों बाद गर्भ धारण किया।। फिर उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।