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Rabindranath Tagore Jayanti 2024: जीवन जीने की नई राह दिखाते हैं रवींद्रनाथ टैगोर के ये 10 अनमोल विचार

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई सन 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित जोड़ासांको में हुआ था। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था और माता जी का नाम शारदा देवी था। गुरुदेव बाल्यावस्था से बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने कई रचनाएं की। इनमें गीतांजलि प्रमुख है। इस रचना के लिए गुरुदेव को सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 02 May 2024 04:03 PM (IST)
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Rabindranath Tagore Jayanti 2024: जीवन जीने की नई राह दिखाते हैं रवींद्रनाथ टैगोर के ये 10 अनमोल विचार
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rabindranath Tagore Jayanti 2024: हर वर्ष 07 मई को रवींद्रनाथ टैगोर जयंती मनाई जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी रचनाओं के लिए लोग गुरुदेव कहकर पुकारते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई, सन 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित जोड़ासांको में हुआ था। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था और माता जी का नाम शारदा देवी था। गुरुदेव बाल्यावस्था से बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने कई रचनाएं की। इनमें गीतांजलि प्रमुख है। इस रचना के लिए गुरुदेव को सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रवींद्रनाथ टैगोर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। इन विचारों का अनुसरण कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकता है। आइए, रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार जानते हैं-

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  1. अगर मैं इसे एक दरवाजे से नहीं पार कर सकता, तो मैं दूसरे दरवाजे से जाऊंगा। ऐसा संभव नहीं होने पर मैं एक दरवाजा बनाऊंगा। चाहे वर्तमान कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, भविष्य में कुछ अद्भुत अवश्य होगा।
  2. चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। इसका मतलब यह है कि भले ही जीवन में कितना दुख आ जाए, लेकिन अपना दर्द किसी से शेयर न करें।
  3. दरिया के किनारे खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते हैं।
  4. जो यह जानते हुए भी वृक्ष लगाता है कि वह उनकी छाया में कभी नहीं बैठ पाएगा, उसने जीवन का अर्थ समझना शुरू कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि हमें दरिद्र नारायण (मानव समाज) की सेवा करनी चाहिए।
  5.  जीवन में सही समय पर सही निर्णय लेना एक कला है, जिससे हम अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
  6.  सफलता का अर्थ है आत्म-समर्पण, जो हमें अपने काम में पूरी तरह से लगे रहने की क्षमता देता है।
  7. मानवता की सबसे बड़ी विरासत सत्य है, जो हमें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करती है।
  8. प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।
  9. प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है।
  10. जो व्यक्ति दूसरों का अच्छा करने में बहुत ज्यादा व्यस्त रहता है, वह स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता है।
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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।